हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक भाई दूज भी माना जाता है। यह त्योहार भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, साल में दो बार भाई दूज का पर्व मनाया जाता है , जो होली…
होली का त्योहार क्यों मनाया जाता है इसके पीछे कुछ कारण या परंपरा प्राचीनकाल से चली आ रही है, परंतु 5 ऐसी पौराणिक कथाएं हैं जिनके कारण होली का पर्व या रंगोत्सव मनाया जाता है। आओ जानते हैं कि आखिर…
दुनिया के सबसे पहले सिविल इंजीनियर भगवान विश्वकर्मा पौराणिक काल के सबसे बड़ी सिविल इंजीनियर माने जाने वाले भगवान विश्वकर्मा की जयंती हर साल मनाई जाती है। मान्यताओं के अनुसार हर साल कन्या संक्रांति के दिन विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती…
माना जाता है भगवान ब्रह्मा जी के कहने पर विश्वकर्मा ने ये दुनिया बनाई थी। हस्तिनापुर, द्वारका से लेकर, शिव जी का त्रिशूल भी विश्वकर्मा जी ने बनाया है। भगवान विश्वकर्मा इस ब्रह्मांड के रचयिता हैं, आज हम जो कुछ…
हिन्दू पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि के आश्विन शुक्ल पंचमी को ललिता पंचमी पर्व या उपांग ललिता पर्व मनाया जाता है। यह पर्व शक्तिस्वरूपा देवी ललिता को समर्पित है। ललिता देवी को माता सती पार्वती का ही एक रूप माना…
भाद्र पद माह की शुक्ल अष्टमी को राधाष्टमी मनाई जाती है। शास्त्रों में इस तिथि को श्री राधाजी का प्राकट्य दिवस माना गया है। में राधा अष्टमी 6 सितम्बर को मनाई जाएगी। पद्म पुराण के अनुसार राधा जी राजा वृषभानु…
इस लेख में आप सब भारत के विभिन्न हिस्सों में स्तिथ 16 प्रसीद्ध हनुमान मंदिरों की बारे में जानकारी पाएंगे। इनमे से हर मंदिर की अपनी एक विशेषता है कोई मंदीर अपनी प्राचीनता की लिये फेमस है तो कोइ मंदीर अपनी…
हिन्दू धर्म में पुराणों के अनुसार शिवजी जहाँ-जहाँ स्वयं प्रगट हुए उन बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है। ये संख्या में 12 है। हिंदुओं में मान्यता है कि जो मनुष्य प्रतिदिन प्रात:काल और…
माना जाता है कि बद्रीनाथ धाम कभी भगवान शिव और पार्वती का विश्राम स्थान हुआ करता था। यहां भगवान शिव अपने परिवार के साथ रहते थे लेकिन श्रीहरि विष्णु को यह स्थान इतना अच्छा लगा कि उन्होंने इसे प्राप्त करने…
मत्स्य जयंती की पौराणिक कथा | चैत्र में शुक्ल पक्ष की तृतीया को भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार हुआ था। इसलिए मत्स्य जयन्ती चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस अवतार की कथा मत्स्य…
आचार्य द्रोण राजकुमारों को धनुर्विद्या की विधिवत शिक्षा प्रदान करने लगे। उन राजकुमारों में अर्जुन के अत्यन्त प्रतिभावान तथा गुरुभक्त होने के कारण वे द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य थे। द्रोणाचार्य का अपने पुत्र अश्वत्थामा पर भी विशेष अनुराग था इसलिये…
अश्वत्थामा ने कौरवों की एक सेना का नेतृत्व किया और पांडव पक्ष के कई योद्धाओं को मार गिराया। कहते हैं कि जब घटोत्कच के नेतृत्व में राक्षसों की सेना ने आक्रमण किया, तब सभी कौरव भाग खड़े हुए। मगर अश्वत्थामा…