नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा का विधान है. नवरात्रि में सप्तमी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा का विधान है.. मां…
इस दिन मां दुर्गा के छठें स्वरूप देवी कात्यायनी की पूजा करने का विधान है। कहा जाता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मां कात्यायनी…
स्कंदमाता की पूजा में पीले फूल अर्पित करें और पीली चीजों का भोग लगाएं। संतान संबंधी कष्टों को दूर करने के लिए इस दिन बच्चों को फल-मिठाई बांटना भी बहुत अच्छा माना गया है। पौराणिक मान्यता है कि इनकी पूजा…
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। हिन्दू मान्यतानुसार महाभारत काल में इसी दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। तभी से यह परंपरा कायम है। यहां…
नवरात्रि में रोज की भांति सबसे पहले कलश की पूजा कर माता कूष्मांडा को नमन करें। हो सके तो मां कूष्मांडा की पूजा में बैठने के लिए हरे या संतरी रंग के कपड़े पहनें। नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा…
मां चंद्रघंटा का स्वरूप सौम्यता एवं शांति से भरा-पूरा है, मां चंद्रघंटा और इनकी सवारी शेर दोनों का शरीर सदैव ही सोने की तरह चमकता है चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन दुर्गा मां के चंद्रघंटा रूप की पूजा की जाती…
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने तक पाताल में शयन करते हैं। ये चार महीने चातुर्मास कहलाते हैं। चातुर्मास को भगवान की भक्ति…
आज शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन है और इस दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्माचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। मां ब्रह्माचारिणी के नाम में ही उनकी शक्तियों की महिमा का वर्णन मिलता है। ब्रह्म का अर्थ होता है…
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में चंपापुरी नाम का एक नगर था। यहां पर राजा माधवा अपनी रानी लक्ष्मीपति के साथ रहते थे। उनके 8 बच्चे थे। इनमें से 7 पुत्र और 1 बेटी जिसका नाम रोहिणी था। एक…
हरतालिका तीज व्रत का रहस्य- बारहवें सतयुग की कथा- भगवान शिव को पती रुप में प्राप्त करने के लिए गिरिजा तथा अनुराधा नाम की दो कुमारियों ने भगवान शिव की घोर तपस्या की। शिव जी माता गिरिजा की तपस्या से…
भारत चमत्कारों और रहस्यों से भरा देश है। भारत को देवभूमि कहे जाने के कई कारणों में से एक कारण यह भी है कि यहां का दर्शन, धर्म और अध्यात्म सत्य सनातन है। इसके कारण ही दुनिया के अन्य धर्मों…
श्रीकृष्ण भगवान द्वारका में रानी सत्यभामा के साथ सिंहासन पर विराजमान थे। निकट ही गरूड़ और सुदर्शन चक्र भी बैठे हुए थे। तीनों के चेहरे पर दिव्य तेज झलक रहा था। बातों ही बातों में रानी सत्यभामा ने श्रीकृष्ण से…