सनातन परंपरा में जिस कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की देवोत्थान या फिर कहें देवउठनी एकादशी पर श्रीहरि अपनी योगनिद्रा से जागते हैं और उसमें शादी-ब्याह जैसे मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है, उसकी तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि आदि के बारे में जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.
सनातन परंपरा में एकादशी तिथि को भगवान श्री विष्णु की पूजा के लिए बहुत ज्यादा शुभ माना गया है, लेकिन इसका महत्व तब और ज्यादा बढ़ जाता है, जब यह कार्तिक मास के शुक्लपक्ष में पड़ती है और देवउठनी या फिर देवोत्थान एकादशी के नाम से जानी जाती है. हिंदू धर्म में देवउठनी को इसलिए बहुत ज्यादा शुभ माना गया है क्योंकि इसी भगवान श्री विष्णु चार महीने बाद अपनी योगनिद्रा से जागते हैं और उसी के बाद शुभ कार्यों की शुरुआत होती है. आइए देवोत्थान एकादशी तिथि की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, धार्मिक महत्व और जरूरी नियम के बारे में विस्तार से जानते हैं.
देवउठनी एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त
देश की राजधानी दिल्ली के पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की एकादशी 22 नवंबर 2023 की रात्रि 11:03 बजे से प्रारंभ होकर 23 नवंबर 2023 की रात्रि 09:01 बजे समाप्त होगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार इस साल देवोत्थान एकादशी का पावन पर्व 23 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा और इस व्रत का पारण अगले दिन 24 नवंबर 2023 को प्रात:काल 06:51 से 08:57 बजे के बीच किया जा सकेगा. गौरतलब है कि एकादशी का व्रत बगैर पारण के अधूरा माना जाता है.
देवउठनी एकादशी की पूजा विधि
देवउठनी एकादशी पर भगवान श्री विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए व्यक्ति को प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए फिर उसके बाद उगते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य देना चाहिए. इसके बाद भगवान श्री विष्णु के व्रत एवं पूजन का संकल्प करना चाहिए और अपने घर के ईशान कोण में उनकी विधि-विधान से फल-फूल, धूप-दीप, चंदन-भोग आदि अर्पित करके पूजा करनी चाहिए.
देवउठनी एकादशी की पूजा में एकादशी की कथा का पाठ या श्रवण जरूर करना चाहिए और सबसे अंत में श्रीहरि और माता लक्ष्मी की आरती करना चाहिए तथा अधिक से अधिक लोगों को इस व्रत एवं पूजा का प्रसाद बांटना चाहिए. हिंदू मान्यता के अनुसार एकादशी का व्रत बगैर पारण के अधूरा माना गया है, इसलिए व्रत के अगले दिन शुभ समय में पारण जरूर करें.
देवउठनी पूजा का अचूक उपाय
देवउठनी एकादशी वाले दिन व्यक्ति को भगवान श्री विष्णु के सामने घी का दीया जलाना चाहिए और उसके बाद पूरे घर-आंगन, छत और मुख्य द्वार पर दीया जरूर रखना चाहिए. हिंदू मान्यता है कि देवोत्थान एकादशी के दिन घर में देशी घी का दीया जलाने से घर में हमेशा सुख-शांति और सौभाग्य बना रहता है.