- Version
- Download 269
- File Size 0.00 KB
- File Count 1
- Create Date November 10, 2023
- Last Updated July 29, 2024
Dvyarthirameshvarastotram
द्वयर्धिरेश्वरस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव के द्वयर्धिरेश्वर रूप की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र 12 श्लोकों में विभाजित है, प्रत्येक श्लोक में 12 पद हैं। प्रत्येक पद में, स्तोत्रकार भगवान शिव के द्वयर्धिरेश्वर रूप की एक विशेषता का वर्णन करते हैं।
द्वयर्धिरेश्वर भगवान शिव का एक रूप है जिसमें उनके दो शीर्ष हैं। एक शीर्ष में शिवलिंग है और दूसरे शीर्ष में नंदी बैल है। यह रूप भगवान शिव के सृष्टि और संहार के दो रूपों का प्रतीक है।
स्तोत्र का हिंदी अनुवाद:
श्लोक 1
स्तोत्रकार कहते हैं, "हे शिव, तुम द्वयर्धिरेश्वर हो। तुम्हारे दो शीर्ष हैं। एक शीर्ष में शिवलिंग है और दूसरे शीर्ष में नंदी बैल है।"
श्लोक 2
"हे शिव, तुम सृष्टि और संहार के दो रूपों का प्रतीक हो। एक शीर्ष सृष्टि का प्रतीक है और दूसरा शीर्ष संहार का प्रतीक है।"
श्लोक 3
"हे शिव, तुम सर्वशक्तिमान हो। तुम सभी प्रकार की शक्तियों से संपन्न हो।"
श्लोक 4
"हे शिव, तुम सर्वव्यापी हो। तुम सर्वत्र व्याप्त हो।"
श्लोक 5
"हे शिव, तुम सर्वज्ञ हो। तुम सब कुछ जानते हो।"
श्लोक 6
"हे शिव, तुम सर्वकल्याणकारी हो। तुम सभी प्रकार की सुखों का प्रदान करने वाले हो।"
श्लोक 7
"हे शिव, तुम सर्वरक्षक हो। तुम सभी प्राणियों की रक्षा करने वाले हो।"
श्लोक 8
Dvyarthirameshvarastotram
"हे शिव, तुम सर्वशत्रुविनाशक हो। तुम सभी दुष्टों का नाश करने वाले हो।"
श्लोक 9
"हे शिव, तुम सर्वसिद्धिप्रद हो। तुम सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाले हो।"
श्लोक 10
"हे शिव, तुम मोक्षप्रद हो। तुम सभी प्राणियों को मोक्ष प्रदान करने वाले हो।"
श्लोक 11
"हे शिव, जो कोई भी तुम्हारी भक्ति करता है, उसे तुम्हारी कृपा प्राप्त होती है। वह सभी प्रकार के दुखों से मुक्त हो जाता है और उसे सभी प्रकार की सुख और मंगल प्राप्त होते हैं।"
श्लोक 12
"हे शिव, मैं तुम्हारी भक्ति करता हूं। मैं तुम्हारी कृपा प्राप्त करना चाहता हूं।"
कुछ विशेष टिप्पणियां:
- द्वयर्धिरेश्वरस्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण धार्मिक पाठ है जो भगवान शिव के द्वयर्धिरेश्वर रूप की महिमा और शक्ति को दर्शाता है।
- यह स्तोत्र शिव भक्तों के बीच लोकप्रिय है और इसका पाठ अक्सर मंदिरों और घरों में किया जाता है।
- स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त हो सकती है।
द्वयर्धिरेश्वर भगवान शिव का एक महत्वपूर्ण रूप है। यह रूप भगवान शिव की शक्ति और महिमा को दर्शाता है। यह रूप भक्तों को प्रेरणा देता है और उन्हें भगवान शिव की भक्ति करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
धान्यवाडिकाक्षेत्रमाहात्म्यम् Dhaanyavaadikaakshetramahaatmyam
Download