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- Create Date November 6, 2023
- Last Updated July 29, 2024
Rudravibhootistotram
रुद्रविभूतिस्तोत्रम् भगवान शिव की स्तुति करने के लिए एक संस्कृत स्तोत्र है। यह स्तोत्र शिव के पांच विभूतियों की स्तुति करता है:
- ईशान - सर्वोच्च सत्ता
- तत्पुरुष - सृष्टिकर्ता
- अघोर - भयंकर
- वामदेव - दयालु
- सद्योजात - हमेशा नए
स्तोत्र की रचना अज्ञात है, लेकिन यह अक्सर शिव की पूजा में पढ़ा जाता है।
स्तोत्र का हिंदी अनुवाद इस प्रकार है:
- श्लोक 1
ईशानं सर्वव्यापीं तत्पुरुषं जगत्कृतम् । अघोरं भयंकरं वामदेवं सद्योजातम् ॥
अर्थ:
मैं ईशान को, जो सर्वव्यापी हैं, तत्पुरुष को, जो सृष्टिकर्ता हैं, अघोर को, जो भयंकर हैं, वामदेव को, जो दयालु हैं, और सद्योजात को, जो हमेशा नए हैं, नमस्कार करता हूं।
- श्लोक 2
पंचभिर्व्याप्तं विश्वं त्रिभिरुपायिनम् । चतुर्भिर्व्याप्तं देवं नमस्यामि रुद्रावतारम् ॥
अर्थ:
पांच विभूतियों द्वारा, तीन रूपों द्वारा, और चार द्वारों द्वारा, मैं भगवान शिव को, जो रुद्र के अवतार हैं, नमस्कार करता हूं।
Rudravibhootistotram
- श्लोक 3
ईशानं सर्वात्मना नमस्कृत्य, तत्पुरुषं सर्वेनात्मना नमस्कृत्य, अघोरं सर्वेनात्मना नमस्कृत्य, वामदेवं सर्वेनात्मना नमस्कृत्य, सद्योजातं सर्वेनात्मना नमस्कृत्य, शिवाय नमः ॥
अर्थ:
मैं ईशान को अपनी आत्मा से नमस्कार करता हूं, तत्पुरुष को अपनी आत्मा से नमस्कार करता हूं, अघोर को अपनी आत्मा से नमस्कार करता हूं, वामदेव को अपनी आत्मा से नमस्कार करता हूं, सद्योजात को अपनी आत्मा से नमस्कार करता हूं, शिव को नमस्कार करता हूं।
रुद्रविभूतिस्तोत्रम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो शिव की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह स्तोत्र अक्सर भय, मृत्यु और अन्य कठिनाइयों से छुटकारा पाने के लिए पढ़ा जाता है।
रुद्रविभूतिस्तोत्रम् के कुछ लाभ इस प्रकार हैं:
- भय, चिंता और तनाव से मुक्ति मिलती है।
- आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि होती है।
- जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
- मोक्ष की प्राप्ति होती है।
रुद्रविभूतिस्तोत्रम् एक शक्तिशाली साधना है जो भक्तों को अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद कर सकती है।
विश्वनाथस्तोत्रम् Vishwanath Stotram
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