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- Create Date October 12, 2023
- Last Updated July 29, 2024
श्रीरघुनाथमंगलस्तोत्रम् एक हिंदू भक्ति गीत है, जो भगवान राम की स्तुति करता है। यह गीत संत तुलसीदास द्वारा लिखा गया है, जो भक्ति आंदोलन के एक प्रमुख संत थे। श्रीरघुनाथमंगलस्तोत्रम् हिंदू धर्म में एक लोकप्रिय भजन है, और इसे अक्सर पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में गाया जाता है।
श्रीरघुनाथमंगलस्तोत्रम् की रचना 16वीं शताब्दी में हुई थी। यह गीत भगवान राम के गुणों और उनके आदर्शों की महिमा का वर्णन करता है। यह गीत भगवान राम को एक आदर्श शासक और एक आदर्श पुरुष के रूप में चित्रित करता है।
श्रीरघुनाथमंगलस्तोत्रम् के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु**
- यह गीत भगवान राम की स्तुति करता है और उनकी महिमा का वर्णन करता है।
- यह गीत भगवान राम के प्रति भक्तों की भक्ति और प्रेम को बढ़ावा देता है।
- यह गीत भगवान राम को एक आदर्श शासक और एक आदर्श पुरुष के रूप में चित्रित करता है।
श्रीरघुनाथमंगलस्तोत्रम् का महत्व
श्रीरघुनाथमंगलस्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण हिंदू भक्ति गीत है, जो भगवान राम की स्तुति करता है। यह गीत हिंदू धर्म में भगवान राम की पूजा और भक्ति को लोकप्रिय बनाने में मदद करता है।
श्रीरघुनाथमंगलस्तोत्रम् के कुछ फायदे
- श्रीरघुनाथमंगलस्तोत्रम् का नियमित पाठ करने से भक्तों में भगवान राम के प्रति भक्ति और प्रेम बढ़ता है।
- यह गीत भक्तों को भगवान राम के गुणों और आदर्शों को याद दिलाता है।
- यह गीत भक्तों को जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।
- यह गीत भक्तों को जीवन में सभी कठिनाइयों का सामना करने के लिए शक्ति प्रदान करता है।
श्रीरघुनाथमंगलस्तोत्रम् का निष्कर्ष
श्रीरघुनाथमंगलस्तोत्रम् एक शक्तिशाली भक्ति गीत है, जो भक्तों को भगवान राम के प्रति अपनी भक्ति और प्रेम को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। यह गीत जीवन में सफलता प्राप्त करने और सभी कठिनाइयों का सामना करने के लिए भी एक प्रेरणा हो सकता है।
श्रीरघुनाथमंगलस्तोत्रम् के कुछ महत्वपूर्ण श्लोक
श्लोक 1
मंगलम भगवान श्रीरघुनाथ, मंगलम रामचन्द्र, मंगलम सीताराम, मंगलम लक्ष्मण गणेश।
अर्थ
भगवान श्रीरघुनाथ, रामचन्द्र, सीताराम, लक्ष्मण और गणेश सभी मंगलकारी हैं।
श्लोक 2
मंगलम भरत लक्ष्मण, मंगलम सुग्रीव, मंगलम हनुमान, मंगलम अंगद विभीषण।
अर्थ
भरत, लक्ष्मण, सुग्रीव, हनुमान, अंगद और विभीषण सभी मंगलकारी हैं।
श्लोक 3
मंगलम श्रीरामचरितमानस, मंगलम तुलसीदास, मंगलम कविवृन्द, मंगलम नर नारी।
अर्थ
श्रीरामचरितमानस, तुलसीदास, कविवृन्द और नर-नारी सभी मंगलकारी हैं।
श्लोक 4
मंगलम मंगलमय, मंगलमय सकल, मंगलम मंगलमय, मंगलमय सबके।
अर्थ
सभी कुछ मंगलमय है। मंगलमय सबके लिए है।
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