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- Create Date October 8, 2023
- Last Updated July 29, 2024
हाँ, श्री ब्रह्मकृतं श्री गणेश स्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान गणेश की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भगवान विष्णु द्वारा रचित है। यह स्तोत्र 8 श्लोकों का है। प्रत्येक श्लोक में, भगवान गणेश की एक विशेषता का वर्णन किया गया है।
श्री ब्रह्मकृतं श्री गणेश स्तोत्रम् के 8 श्लोक इस प्रकार हैं:
श्लोक 1:
ईश त्वां स्तोतुमिच्छामि ब्रह्मज्योतिः सनातनम्।
अर्थ:
हे ईश! मैं आपको नमस्कार करता हूं, जो ब्रह्मज्योति के रूप में सनातन हैं।
श्लोक 2:
प्रवरं सर्वदेवानां सिद्धानां योगिनां गुरुम्।
अर्थ:
वह सभी देवताओं में सबसे प्रमुख हैं, सिद्ध योगियों के गुरु हैं।
श्लोक 3:
अव्यक्तमक्षरं नित्यं सत्यमात्मस्वरूपिणम्।
अर्थ:
वह अव्यक्त, अक्षर, नित्य, सत्य और आत्मस्वरूप हैं।
श्लोक 4:
वायुतुल्यातिनिर्लिप्तं चाक्षतं सर्वसाक्षिणम्।
अर्थ:
वह वायु के समान निर्लिप्त हैं और सभी के साक्षी हैं।
श्लोक 5:
ध्यानातिरिक्तं ध्येयं च ध्यानासाध्यं चतुर्मुखम्।
अर्थ:
वह ध्यान से परे हैं, ध्यान का विषय हैं और चार मुंह वाले हैं।
श्लोक 6:
बीजं संसारवृक्षाणामङकुरं च तदाश्रयम्।
अर्थ:
वह भौतिक अस्तित्व के वृक्षों के बीज हैं और उनके आश्रय हैं।
श्लोक 7:
स्त्रीपुत्रपुंसकानां च रुपमेतदतीन्द्रियम्।
अर्थ:
वह पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के दिव्य रूप हैं।
श्लोक 8:
सर्वाद्यमग्रपूज्यं च सर्वपूज्यं गुणार्णवम्।
अर्थ:
वह सभी के पहले पूजनीय हैं और सभी पूजनीय हैं।
श्री ब्रह्मकृतं श्री गणेश स्तोत्रम् का महत्व:**
श्री ब्रह्मकृतं श्री गणेश स्तोत्रम् एक बहुत ही शक्तिशाली स्तोत्र है। इस स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करने से भक्तों को भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है। इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
श्री ब्रह्मकृतं श्री गणेश स्तोत्रम् के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं:**
- यह स्तोत्र भगवान गणेश की महिमा का वर्णन करता है।
- यह स्तोत्र 8 श्लोकों का है।
- इसमें भगवान गणेश के सभी प्रमुख नामों और विशेषताओं का वर्णन किया गया है।
- यह स्तोत्र सभी भक्तों के लिए पढ़ने योग्य है।
श्री ब्रह्मकृतं श्री गणेश स्तोत्रम् का पाठ करने का तरीका:**
श्री ब्रह्मकृतं श्री गणेश स्तोत्रम् का पाठ करना बहुत ही सरल है। बस, आपको इन 8 श्लोकों को ध्यान से पढ़ना है और भगवान गणेश के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करनी है। आप इस स्तोत्र का पाठ किसी भी समय और किसी भी स्थान पर कर सकते हैं।
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