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  • Create Date October 8, 2023
  • Last Updated October 8, 2023

हरिम्बोपनिषद एक शैव उपनिषद है जो भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह उपनिषद संस्कृत में लिखा गया है और यह 12 अध्यायों में विभाजित है।

हरिम्बोपनिषद के अनुसार, भगवान शिव ही ब्रह्मांड के सृजनकर्ता, पालनहार और संहारकर्ता हैं। वे ही सभी देवताओं के स्वामी हैं। भगवान शिव के पास सभी प्रकार की सिद्धियां हैं। वे ही सभी जीवों के अंतिम उद्धारकर्ता हैं।

हरिम्बोपनिषद के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं:

  • भगवान शिव ही ब्रह्मांड के सृजनकर्ता, पालनहार और संहारकर्ता हैं।
  • वे ही सभी देवताओं के स्वामी हैं।
  • भगवान शिव के पास सभी प्रकार की सिद्धियां हैं।
  • वे ही सभी जीवों के अंतिम उद्धारकर्ता हैं।

हरिम्बोपनिषद एक महत्वपूर्ण शैव ग्रंथ है जो भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह उपनिषद सभी शैव भक्तों के लिए पढ़ने योग्य है।

हरिम्बोपनिषद के कुछ प्रमुख अध्यायों का सारांश इस प्रकार है:

अध्याय 1: इस अध्याय में, भगवान शिव को ब्रह्मांड का सृजनकर्ता बताया गया है।

अध्याय 2: इस अध्याय में, भगवान शिव को पालनहार बताया गया है।

अध्याय 3: इस अध्याय में, भगवान शिव को संहारकर्ता बताया गया है।

अध्याय 4: इस अध्याय में, भगवान शिव को सभी देवताओं के स्वामी बताया गया है।

अध्याय 5: इस अध्याय में, भगवान शिव की सिद्धियों का वर्णन किया गया है।

अध्याय 6: इस अध्याय में, भगवान शिव को सभी जीवों के अंतिम उद्धारकर्ता बताया गया है।

अध्याय 7: इस अध्याय में, भगवान शिव की भक्ति का महत्व बताया गया है।

अध्याय 8: इस अध्याय में, भगवान शिव के नामों और मंत्रों का वर्णन किया गया है।

अध्याय 9: इस अध्याय में, भगवान शिव की पूजा का तरीका बताया गया है।

अध्याय 10: इस अध्याय में, भगवान शिव के लोक का वर्णन किया गया है।

अध्याय 11: इस अध्याय में, भगवान शिव की उपासना के लाभ बताए गए हैं।

अध्याय 12: इस अध्याय में, भगवान शिव की महिमा का वर्णन किया गया है।


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