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  • Create Date October 7, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

श्री गणेशावतार स्तोत्र एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान गणेश के 8 अवतारों की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 16वीं शताब्दी के कवि, श्री नरहरि तिवारी द्वारा लिखा गया था। श्री नरहरि तिवारी, एक प्रमुख वैष्णव कवि थे, जिन्होंने कृष्ण भक्ति में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। श्री गणेशावतार स्तोत्र को वैष्णव संप्रदाय में एक महत्वपूर्ण स्तोत्र माना जाता है।

श्री गणेशावतार स्तोत्र के कुछ लाभों में शामिल हैं:

  • भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करना
  • सभी बाधाओं को दूर करना
  • सभी सिद्धियों को प्राप्त करना
  • आध्यात्मिक प्रगति करना
  • सफलता और खुशी प्राप्त करना

श्री गणेशावतार स्तोत्र को रोजाना पढ़ने या सुनने से कहा जाता है, विशेष रूप से कठिन समय में। यह स्तोत्र लोगों को आध्यात्मिक प्रगति करने, अपने जीवन में बाधाओं को दूर करने और सफलता और खुशी प्राप्त करने में मदद करने के लिए कहा जाता है।

श्री गणेशावतार स्तोत्र के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु निम्नलिखित हैं:

  • यह स्तोत्र भगवान गणेश के 8 अवतारों की स्तुति करता है, जो विभिन्न देवताओं और देवी-देवताओं के रूप में अवतरित हुए हैं।
  • यह स्तोत्र भगवान गणेश की सभी शक्तियों और गुणों की प्रशंसा करता है।
  • यह स्तोत्र भगवान गणेश से अपने जीवन में बाधाओं को दूर करने, सभी पापों को दूर करने, सभी प्रकार के धन और समृद्धि प्राप्त करने, सभी शत्रुओं को पराजित करने, आध्यात्मिक प्रगति करने और सफलता और खुशी प्राप्त करने की प्रार्थना करता है।
  • यह स्तोत्र लोगों को आध्यात्मिक प्रगति करने, अपने जीवन में बाधाओं को दूर करने और सफलता और खुशी प्राप्त करने में मदद करने के लिए कहा जाता है।

श्री गणेशावतार स्तोत्र का पाठ इस प्रकार है:

श्री गणेशावतार स्तोत्र

1. एकाक्षं हयग्रीवं च

वृषरूपं द्वितीयकम् गजमुखं तृतीयं च विघ्नराजं चतुर्थकम्

2. ऋद्धिसिद्धिप्रदं च

गजाननं पंचमम् वरदं षष्ठमं च सिद्धिविनायकं सप्तमम्

3. षट्बाहुं त्रिशूलं

धूम्रवर्णं चतुर्थकम् धूम्रकेतुं चतुर्थकम् गणपतिं च पंचमम्

4. नमस्ते गणपतिं

गणेशं च षष्ठकम् अष्टमं गणेशं च नमामि वरदं नमस्ते

अनुवाद:


1. एक आंख वाले, हयग्रीव के रूप में,

वृषभ के रूप में दूसरे, हाथी के मुंह वाले रूप में तीसरे, विघ्नराज के रूप में चौथे।

2. ऋद्धि और सिद्धि प्रदान करने वाले,

गजानन के रूप में पांचवें, वर देने वाले के रूप में छठे, सिद्धिविनायक के रूप में सातवें।

3. छह भुजा वाले, त्रिशूल धारण करने वाले,

धूम्रवर्ण के रूप में चौथे, धूम्रकेतु के रूप में चौथे, गणपति के रूप में पांचवें।

4. नमस्कार गणपति को,

गणेश को छठे, आठवें गणेश को, नमस्कार वर देने वाले को नमस्ते।

श्री गणेशावतार स्तोत्र एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान गणेश के सभी अवतारों की स्तुति करता है। यह स्तोत्र लोगों को आध्यात्मिक प्रगति करने, अपने जीवन में बाधाओं को दूर


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