Margashirsha Ashtami Vrat:हिन्दू पंचांग के अनुसार हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गा अष्टमी का व्रत किया जाता है। इस दिन देवी दुर्गा के भक्त उनकी पूजा करते हैं और पूरे दिन उपवास रखते हैं। हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है, कहा जाता है कि मां दुर्गा के सभी रूपों की व्यवस्थित तरीके से पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। मासिक दुर्गाष्टमी को मास दुर्गाष्टमी या मासिक दुर्गाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं इस मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत के महत्व और मान्यताओं के बारे में

ऐसे में इस दिन देवी दुर्गा का व्रत करने से जगदंबा माता की कृपा प्राप्त होती है.
भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं। घर में सुख-समृद्धि आती है, सुख-समृद्धि आती है, धन-लक्ष्मी आती है।

Margashirsha Ashtami Vrat:ज्योतिषियों की मानें तो मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 08 दिसंबर को भारतीय समयानुसार सुबह 09 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, अष्टमी तिथि का समापन 09 दिसंबर को सुबह 08 बजकर 02 मिनट पर होगा। मासिक दुर्गाष्टमी पर निशा काल में जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा की जाती है। अत: 08 दिसंबर को मासिक दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी।

ज्योतिषियों की मानें तो मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर शतभिषा योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन अभिजीत मुहूर्त का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही वणिज योग का भी निर्माण हो रहा है। इन योग में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक ही हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं।

मासिक दुर्गा अष्टमी पर जगत की देवी मां दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है। विशेष कार्य में सिद्धि पाने के इच्छुक साधक मासिक दुर्गा अष्टमी पर मां दुर्गा की कठिन साधना करते हैं। कठिन साधना से प्रसन्न होकर मां दुर्गा मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। मां की कृपा से साधक को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।

❀ दुर्गा अष्टमी के दिन सुबह उठकर गंगाजल डालकर स्नान करें।
❀ लकड़ी का पाठ लें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं।
❀ फिर मां दुर्गा के मंत्र का जाप करते हुए उनकी प्रतिमा या फोटो स्थापित करें।
❀ लाल या उधल के फूल, सिंदूर, अक्षत, नैवेद्य, सिंदूर, फल, मिठाई आदि से मां दुर्गा के सभी रूपों की पूजा करें।
❀ फिर धूप-दीप जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और आरती भी करना न भूलें।
❀ इसके बाद हाथ जोड़कर उनके सामने अपनी इच्छाएं रखें।

सूर्योदय – सुबह 07 बजकर 02 मिनट पर

सूर्यास्त – शाम 05 बजकर 24 मिनट पर

चन्द्रोदय- दोपहर 12 बजकर 27 मिनट पर

चंद्रास्त- देर रात 12 बजकर 09 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 05 बजकर 13 मिनट से 06 बजकर 07 मिनट तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से 02 बजकर 38 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 22 मिनट से 05 बजकर 49 मिनट तक

निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 41 मिनट तक

Margashirsha Ashtami Vrat

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