रक्षाबंधन के त्योहार की तिथि को लेकर लोगों में इस बार बहुत कंफ्यूजन है. लोग संशय में हैं कि रक्षाबंधन 30 अगस्त को मनाएं या 31 अगस्त को. आपको बता दें कि रक्षाबंधन इस दिन 30 और 31 अगस्त दोनों दिन मनेगा लेकिन भद्रा के साए की वजह से आपको शुभ मुहूर्त का खास ख्याल रखना होगा. 30 अगस्त को लगभग पूरे दिन ही भद्रा का साया रहेगा और 31 अगस्त को राखी बांधने का शुभ मुहूर्त सिर्फ सुबह कुछ देर तक ही है.

रक्षाबंधन का मतलब

रक्षा बंधन एक पारंपरिक हिंदू त्योहार है जो भाइयों और बहनों के बीच के बंधन का जश्न मनाता है. त्योहार का नाम संस्कृत शब्द ‘रक्षा’ से आया है जिसका अर्थ है- ‘सुरक्षा’ और ‘बंधन’ का अर्थ है- ‘बांधना’.

रक्षा बंधन का इतिहास

इस त्योहार का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व बहुत गहरा है. ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में, रानियां, और राजुकमारियां अपने गठबंधन और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में पड़ोसी राजाओं को राखी के धागे भेजती थीं. हालांकि रक्षा बंधन से जुड़ी कुछ लोकप्रिय कहानियां हैं:

रक्षा बंधन से जुड़ी कहानियां

1. इंद्र और इंद्राणी: एक पौराणिक कथा के अनुसार, देवताओं के राजा इंद्र को शक्तिशाली राक्षस राजा बाली के खिलाफ लड़ाई में हार का सामना करना पड़ रहा था. साची, जिसे इंद्र की पत्नी इंद्राणी भी कहा जाता है, ने इंद्र की रक्षा के लिए उनकी कलाई पर एक सुरक्षात्मक सूती धागा (राखी) बांधा था. शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु ने उन्हें पवित्र धागा दिया था.

2. कृष्ण और द्रौपदी: एक अन्य लोकप्रिय कथा महाकाव्य महाभारत से है. एक युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण की उंगली सुदर्शन चक्र से गलती से कट गई थी. यह देखकर पांचों पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने खून रोकने के लिए अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर कृष्ण की उंगली पर बांध दिया था. यह देखकर कृष्ण ने द्रौपदी को जरूरत पड़ने पर उनकी रक्षा करने और उनका समर्थन करने का वादा किया. 

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रक्षा बंधन 2023 शुभ मुहूर्त

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त – 30 अगस्त को रात्रि 09:01 बजे के बाद

रक्षा बन्धन अनुष्ठान का समय09:01 PM के बाद
रक्षा बन्धन भद्रा अन्त समय 09:01 PM
रक्षा बन्धन भद्रा पूँछ 05:30 PM से 06:31 PM
रक्षा बन्धन भद्रा मुख06:31 PM से 08:11 PM

प्रदोष के बाद भद्रा समाप्त होने पर ही मुहूर्त मिलता है.  

रक्षाबंधन (राखी) का महत्व

रक्षा बंधन भारत और भारतीय उपमहाद्वीप के अन्य हिस्सों में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है. यह एक पारंपरिक हिंदू त्योहार है जो भाइयों और बहनों के बीच के रिश्ते का सम्मान करता है. “रक्षा बंधन” शब्द का अनुवाद “सुरक्षा का बंधन” या “सुरक्षा की गांठ” है. यहां रक्षा बंधन के कुछ प्रमुख महत्व हैं 

1. बंधन को मजबूत करना: रक्षा बंधन भाइयों और बहनों के बीच प्यार के रिश्ते का जश्न मनाता है. इस दिन, बहनें प्यार, सुरक्षा और सद्भावना के प्रतीक के रूप में अपने भाइयों की कलाई पर “राखी” नामक एक पवित्र धागा बांधती हैं. यह प्यार के अटूट बंधन और भाइयों के अपनी बहनों की रक्षा करने के कर्तव्य का प्रतीक है.

रक्षाबंधन का पौराणिक महत्व

रक्षा के लिए बांधा जाने वाला धागा रक्षासूत्र है. माना जाता है कि राजसूय यज्ञ के समय में भगवान कृष्ण को द्रोपदी ने रक्षासूत्र के रूप में अपने आंचल का टुकड़ा बांधा था. इसके बाद बहनों द्वारा भाई को राखी बांधने की परंपरा शुरू हुई. साथ ही पहले के समय में ब्राह्मणों द्वारा अपने यजमानों को राखी बांधकर उनकी मंगलकामना की जाती है. इस दिन वेदपाठी ब्राह्मण यजुर्वेद का पाठ शुरू करते हैं. इसलिए रक्षाबंधन वाले दिन यानी श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा वाले दिन शिक्षा का आरंभ करना भी शुभ माना जाता है.

भारत में अन्य धर्मों के बीच रक्षा बंधन का महत्व

रक्षा बंधन भारत में मुख्य रूप से हिंदुओं के बीच मनाया जाने वाला एक पवित्र त्योहार है, लेकिन यह देश के विभिन्न धर्मों और समुदायों में भी महत्व रखता है. हालाँकि यह मुख्य रूप से हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है, लेकिन इसका प्रभाव अन्य धार्मिक समूहों तक फैल गया है, जिससे एकता और सद्भाव की भावना को बढ़ावा मिलता है.

हिन्दू धर्म  रक्षा बंधन वैसे तो हिंदू धर्म के सबसे पवित्र त्योहार माना जाता है. यह मुख्य रूप से भाई-बहन के बीच के बंधन के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. बहनें अपने भाइयों की कलाई पर “राखी” नामक एक पवित्र धागा बांधती हैं, और भाई, बदले में, अपनी बहनों की रक्षा और समर्थन करने का वादा करते हैं. यह त्योहार भाई-बहन के बीच प्यार, देखभाल और आपसी सम्मान को दर्शाता है.

जैन धर्म रक्षा बंधन जैनियों द्वारा भी मनाया जाता है. जैन अहिंसा में विश्वास करते हैं और राखी के पर्व को सभी जीवित प्राणियों की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की याद के रूप में मनाते हैं. वे अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों की कलाई पर राखी बांधते हैं.

सिख धर्म सिख रक्षाबंधन को “राखड़ी” के रूप में बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं. सिख प्यार और सुरक्षा की निशानी के रूप में अपने प्रियजनों की कलाई पर राखी बांधते हैं. यह त्योहार निस्वार्थ सेवा, करुणा और भाईचारे के महत्व पर जोर देता है.

बुद्ध धर्म रक्षा बंधन बौद्ध धर्म में व्यापक रूप से नहीं मनाया जाता है, लेकिन भारत के कुछ क्षेत्रों में बौद्धों के बीच इसके पालन के कुछ उदाहरण हैं. यह दोस्ती और सुरक्षा के बंधन का प्रतीक है, व्यक्तियों के बीच सद्भाव और भाईचारा को बढ़ावा देता है.

रक्षा बंधन 2023 पूजा विधि

1. अपने आप को शुद्ध करो: पूजा शुरू करने से पहले पवित्रता के संकेत के रूप में स्नान करें और साफ कपड़े पहनें.

2. पूजा की थाली तैयार करें: एक थाली लें और उस पर राखी का धागा, अक्षत, कुमकुम (सिंदूर) या चंदन, मिठाई, दीया (दीपक) और अगरबत्ती जैसी सामग्री रखें. 

3. प्रार्थना करें: सबसे पहले प्रथम पूज्य भगवान गणेश की पूजा करें और उनका आशीर्वाद लें. आप गणेश मंत्र या गणेश आरती भी कर सकते हैं.

4. तिलक लगाएं और आरती करें: अपने भाई के माथे पर तिलक लगाएं और आरती की थाली को दक्षिणावर्त दिशा में घुमाकर आरती करें.

5. राखी बांधें: राखी का धागा लें और इसे अपने भाई की दाहिनी कलाई पर बांधें. राखी बांधते समय आप अपने भाई के प्रति अपना प्यार और स्नेह भी व्यक्त कर सकती हैं.

6. उपहारों और मिठाइयों का आदान-प्रदान: राखी बांधने के बाद अपने भाई को मिठाइयां या चॉकेलट खिलाएं. बदले में, आपका भाई आपसे आशीर्वाद लेता है और आपको उपहार भी देता हैं.

यह रक्षा बंधन पूजा विधि सामान्य जानकारी के आधार पर लिखी गई है. विशिष्ट अनुष्ठान और रीति-रिवाज क्षेत्रीय परंपराओं और पारिवारिक प्राथमिकताओं के आधार पर भिन्न हो सकते हैं. आपके परिवार में पालन किए जाने वाले किसी भी विशिष्ट रीति-रिवाज या अनुष्ठान के लिए बुजुर्गों या परिवार के सदस्यों से परामर्श करना हमेशा एक अच्छा विचार है.

रक्षा बंधन 2023: मंत्र

भाई को राखी बांधते समय बहन को निम्न मंत्र का जाप करना चाहिए:

“येन बद्धो बलि: राजा दानवेंद्रो महाबल:, 

तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल!

ॐ व्रतेन दीक्षामाप्नोति, दीक्षयाऽऽप्नोति दक्षिणाम् ,

दक्षिणा श्रद्धामाप्नोति, श्रद्धया सत्यमाप्यते ॥”

रक्षा मंत्र का अर्थ इस प्रकार है –

“मैं तुम्हें उसी रक्षा सूत्र से बांधती हूं जिसने सबसे शक्तिशाली, साहस के राजा बाली को बांधा था. हे रक्षे! (रक्षासूत्र) तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो.”


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