शास्त्रों में महाभारत को पांचवां वेद कहा गया है। महाभारत की कथा जितनी बड़ी है, उतनी ही रोचक भी है। इसके रचयिता महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास हैं। इस ग्रंथ में कुल एक लाख श्लोक हैं, इसलिए इसे शतसाहस्त्री संहिता भी कहते हैं।हम अब तक आपको महाभारत में वर्णित अनेकों कथाएं व प्रसंग बता चुके है। आज हम आपको महाभारत से जुड़ा एक और प्रंसग बता रहे है जब एक स्त्री के देखने मात्र से युधिष्ठर के पैरों के नाख़ून काले हो गए थे। आइए जानते है क्यों हुआ ऐसा।महाभारत के अनुसार, युद्ध समाप्त होने के बाद पांडव धृतराष्ट्र व गांधारी से मिलने गए। उस समय गांधारी भी अन्यायपूर्वक किए गए दुर्योधन के वध से क्रोधित थी। पांडव डरते-डरते गांधारी के पास पहुंचे। दुर्योधन के वध की बात करने पर भीम ने गांधारी से कहा कि यदि मैं अधर्मपूर्वक दुर्योधन को नहीं मारता तो वह मेरा वध कर देता। धर्मयुद्ध में दुर्योधन से कोई नहीं जीत सकता था।

तब गांधारी ने कहा कि तुमने युद्धभूमि में दु:शासन का खून पिया, क्या वह उचित था? तब भीम ने कहा कि दु:शासन का खून मेरे दांतों से आगे नहीं गया। जिस समय दु:शासन ने द्रौपदी के बाल पकड़ थे, उसी समय मैंने ऐसी प्रतिज्ञा की थी। यदि मैं अपनी प्रतिज्ञा पूरी नहीं करता तो क्षत्रिय धर्म का पालन नहीं कर पाता।

भीम के बाद युधिष्ठिर गांधारी से बात करने के लिए आगे आए। माता गांधारी बहुत ज्यादा क्रोध में थी जैसे ही गांधारी की दृष्टि पट्टी से होकर युधिष्ठिर के पैरों के नाखूनों पर पड़ी, वह काले हो गए। यह देख अर्जुन श्रीकृष्ण के पीछे छिप गए और नकुल, सहदेव भी इधर-उधर हो गए। थोड़ी देर बाद जब गांधारी का क्रोध शांत हो गया, तब पांडवों ने उनसे आशीर्वाद लिया।

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