महाकालेश्वर मंदिर को लेकर कई सारी भ्रांतियां हैं। जैसे कई लोगों को लगता है कि महाकालेश्वर का मेन मंदिर ही वो है जहां भगवान को शराब पिलाई जाती है, लेकिन मैं आपको बता दूं कि ये दो अलग-अलग मंदिर हैं। ये मंदिर बहुत दूर नहीं हैं और कहा जाता है कि इस मंदिर के गर्भग्रह में एक गुफा है जो महाकाल मंदिर से जुड़ी हुई है। जहां भैरो बाबा का मंदिर अपने आप में प्रसिद्ध है वहीं महाकाल मंदिर से जुड़े भी कई रहस्य हैं।

आज हम आपको महाकाल मंदिर से जुड़े तीन गहरे रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं। इस लेख में यह भी बताने जा रहे हैं कि कैसे आप महाकालेश्वर मंदिर पहुंच सकते हैं और यहां ठहरने के लिए कुछ बेहतरीन जगहों के बारे में भी बताने जा रहे हैं। 

भैरो बाबा के मंदिर में पिलाई जाती है शिव को शराब

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर और काल भैरो के मंदिर के बारे में तो आप जानते ही होंगे। काल भैरो का मंदिर देश का ही नहीं बल्कि दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान शिव को शराब पिलाई जाती है और जहां पूरी दुनिया में मंदिरों के आस-पास शराब आदि की दुकानें हटा दी जाती हैं वहीं दूसरी ओर महाकाल के मंदिर परिसर से लेकर इसके रास्ते तक में बहुत सारी शराब की दुकानें लगवाई गई हैं और यही नहीं यहां प्रसाद बेचने वाले लोग भी शराब अपने पास रखते हैं।

12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर का शिवलिंग स्वयंभू (अपने आप प्रकट हुआ) माना जाता है। आज तक ये कोई भी नहीं जानता कि भगवान शिव को मदिरा पिलाने का रिवाज कब से आया और आखिर इतनी शराब जो भगवान शिव पीते हैं वो जाती कहां है।

1. महाकाल के नाम का रहस्य

क्योंकि महाकाल में भस्म आरती होती है और ये कहा जाता है कि पहले यहां जलती हुई चिता की राख लाकर पूजा की जाती थी इसलिए माना जाता था कि महाकाल का संबंध मृत्यु से है, पर ये पूरा सच नहीं है। दरअसल, काल का मतलब मृत्यु और समय दोनों होते हैं और ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में पूरी दुनिया का मनक समय यहीं से निर्धारित होता था इसलिए इसे महाकालेश्वर नाम दे दिया गया।  

दूसरा कारण भी काल से ही जुड़ा हुआ था। दरअसल, शिवलिंग तब प्रकट हुआ था जब एक राक्षस को मारना था। भगवान शिव उस राक्षस का काल बनकर आए थे और साथ ही साथ अवंति नगरी (अब उज्जैन) के वासियों के आग्रह पर महाकाल यहीं स्थापित हो गए। ये समय यानि काल के अंत तक यहीं रहेंगे इसलिए भी इन्हें महाकाल कहा जाने लगा।

2. आखिर क्यों रात नहीं गुजारता कोई राजा या मंत्री

ऐसा माना जाता है कि विक्रमादित्य के समय से ही इस मंदिर के पास और शहर में कोई राजा या मंत्री रात नहीं गुजारता है। इससे जुड़े कई उदाहरण भी प्रसिद्ध हैं जिनके बारे में आपको जानकर आश्चर्य होगा। दरअसल, लंबे समय तक कांग्रेस और फिर भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया जो ग्वालियर के राजा भी हैं वो भी आज तक यहां रात को नहीं रुके हैं।

इतना ही नहीं, देश के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई भी जब मंदिर के दर्शन करने के बाद रात में यहां रुके थे तो उनकी सरकार अगले ही दिन गिर गई थी।  

ऐसे ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री वी एस येदियुरप्पा भी जब उज्जैन में रुके थे तो उन्हें कुछ ही दिनों के अंदर इस्तीफा देना पड़ा था। इस रहस्य को कुछ लोग संयोग मानते हैं तो कुछ लोगों के मुताबिक एक लोककथा के अनुसार भगवान महाकाल ही इस शहर के राजा हैं और उनके अलावा कोई और राजा यहां नहीं रह सकता है। 

3. भस्म आरती को लेकर भी है एक रहस्य

भस्म आरती की कहानी शिवलिंग की स्थापना से ही देखी जाती है। दरअसल प्राचीन काल में राजा चंद्रसेन शिव के बहुत बड़े उपासक माने जाते थे। एक दिन राजा के मुख से मंत्रो का जाप सुन एक किसान का बेटा भी उनके साथ पूजा करने गया, लेकिन सिपाहियों ने उसे दूर भेज दिया।

वो जंगल के पास जाकर पूजा करने लगा और वहां उसे अहसास हुआ कि दुश्मन राजा उज्जैन पर आक्रमण करने जा रहे हैं और उसने प्रार्थना के दौरान ही ये बात पुजारी को बता दी। ये खबर आग की तरह फैल गई और उस समय विरोधी राक्षस दूषण का साथ लेकर उज्जैन पर आक्रमण कर रहे थे। दूषण को भगवान ब्रह्मा का वर्दान प्राप्त था कि वो दिखाई नहीं देगा। 

उस वक्त पूरी प्रजा ही भगवान शिवकी अराधना में व्यस्त हो गई और अपने भक्तों की ऐसी पुकार सुनकर महाकाल प्रकट हुए। महाकाल ने दूषण का वध किया और उसकी राख से ही अपना श्रृंगार किया। उसके बाद वो यहीं विराजमान हो गए। तब से भस्म आरती का विधान बन गया। ये दिन की सबसे पहली आरती होती है।  

शिवपुराण के अनुसार कपिला गाय के गोबर के कंडे के साथ शमी, पीपल, पलाश, बेर के पेड़ की लड़कियां, अमलतास और बरगद के पेड़ की जड़ को एक साथ जलाया जाता है। इसके बाद ही वो राख बनती है जिससे हर सुबह भगवान शिव की भस्म आरती होती है। 

महाकालेश्वर मंदिर कैसे पहुंचें-

महाकालेश्वर मंदिर पहुंचना बहुत आसान है। यहां आप देश के किसी भी कोने से आसानी से पहुंच सकते हैं। 

ट्रेन- दिल्ली, मुंबई, कोलकाता या चेन्नई जैसे शहर से आप ट्रेन लेकर उज्जैन सीटी जंक्शन या विक्रम नगर रेलवे स्टेशन पहुंचकर यहां से लोकल बस या टैक्सी लेकर महाकालेश्वर मंदिर पहुंचा सकते हैं। दिल्ली से आप 1000 रूपये के आसपास में पहुंच सकते हैं।

हवाई सफ़र- अगर आप हवाई सफ़र से पहुंचना चाहते हैं तो महारानी अहिल्या बाई होल्कर एअरपोर्ट उज्जैन का सबसे निकटतम हवाई अड्डा है। यहां से आप लोकल टैक्सी या बस लेकर जा सकते हैं। दिल्ली से हवाई सफ़र लगभग 6 हज़ार पड़ेगा ।

सड़क मार्ग से-अगर आप बस या निजी वहान से जाना चाहते हैं उज्जैन देश के लगभग हर राज्य से जुडा हुआ है। 

महाकालेश्वर मंदिर के आसपास ठहरने की जगह-

महाकालेश्वर मंदिर के आसपास ठहरने के लिए ऐसे कई धर्मशाला हैं जहां आप बहुत कम पैसे में ठहर सकते हैं। जैसे-महाकाल धर्मशाला या फिर सूर्य नारायण व्यास धर्मशाला में ठहर सकते हैं।

इसके अलावा मंदिर के आसपास कैसे कई होटल्स हैं जहां आप 500-600 रूपये के बीच में रूम बुक कर सकते हैं। जैसे-कृष्ण होटल, होटल आराध्य में रूम बुक कर सकते हैं।

महाकालेश्वर मंदिर के आसपास खाने की जगह

महाकालेश्वर मंदिर के आसपास ऐसे कई ढाबा मौजूद हैं जहां आप खाना खाने के लिए जा सकते हैं। जैसे- जोशी दही बाबा हाउस, किशन रेस्टोरेंट या फिर डमरू वाला रेस्टोरेंट में भी खाना खाने के लिए जा सकते हैं।

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