हनुमान मंदिर, इलाहबाद (उत्तर प्रदेश)

इलाहबाद किले से सटा यह मंदिर लेटे हुए भगवान हनुमान की प्रतिमा वाला प्राचीन मंदिर है। इसमें हनुमान जी लेटी हुई मुद्रा में हैं। मूर्ति 20 फीट लम्बी है। जब बारीश में बाढ़ आती है तो मंदिर जलमग्न हो जाता है, तब मूर्ति को कहीं ओर ले जाकर सुरक्षित रखा जाता है। 

हनुमानगढ़ी, अयोध्या
अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्मस्थली है। हनुमानगढ़ी मंदिर प्रसिद्ध है। यह मंदिर राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर बना है। मंदिर के चारों ओर निवास साधु-संत रहते हैं। हनुमानगढ़ी के दक्षिण में सुग्रीव टीला व अंगद टीला नामक जगह हैं। मंदिर की स्थापना 300 साल पहले स्वामी अभयारामदासजी ने की थी।

सालासर हनुमान मंदिर, सालासर(राजस्थान)
यह मंदिर राजस्थान के चूरू जिले में है। गांव का नाम सालासर है, इसलिए सालासर बालाजी के नाम यह प्रसिद्ध है। यह प्रतिमा दाड़ी व मूंछ वाली है। यह एक किसान को खेत में मिली थी, जिसे सालासर में सोने के सिंहासन पर स्थापित किया गया है। 

हनुमान धारा, चित्रकूट
उत्तर प्रदेश में सीतापुर के पास यह हनुमान मंदिर है। यह पर्वतमाला के मध्य में है। हनुमान की मूर्ति के ठीक ऊपर दो कुंड हैं, जो हमेशा भरे रहते हैं। उनमें से पानी बहता रहता है। इस धारा का जल मूर्ति के ऊपर से बहता है। इसीलिए, इसे हनुमान धारा कहते हैं।

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श्री संकटमोचन मंदिर, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में है। इस मंदिर के चारों ओर एक छोटा सा वन है। मंदिर के प्रांगण में भगवान हनुमान की दिव्य प्रतिमा है। ऐसी मान्यता है कि हनुमानजी की यह मूर्ति गोस्वामी तुलसीदासजी के तप एवं पुण्य से प्रकट हुई स्वयंभू मूर्ति है।

भेट-द्वारका, गुजरात
भेज-द्वारका से चार मील की दूरी पर मकरध्वज के साथ में भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित है। कहते हैं कि पहले मकरध्वज की मूर्ति छोटी थी परंतु अब दोनों मूर्तियां एक सी ऊंची हो गई हैं। मकरध्वज को हनुमान जी का पुत्र बताया गया है, जिसका जन्म हनुमानजी के पसीने द्वारा एक मछली से हुआ था।

 बालाजी हनुमान मंदिर, मेहंदीपुर (राजस्थान)
राजस्थान के दौसा जिले के पास दो पहाडिय़ों के बीच बसा हुआ मेहंदीपुर है। यह मंदिर जयपुर-बांदीकुई-बस मार्ग पर जयपुर से लगभग 65 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर करीब 1 हजार साल पुराना है। यहां चट्टान में हनुमान की आकृति स्वयं उभर आई थी। इसे ही श्री हनुमान जी का स्वरूप माना जाता है।

डुल्या मारुति, पूना (महाराष्ट्र)
पूना के गणेशपेठ में बना यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। श्रीडुल्या मारुति का मंदिर संभवत: 350 वर्ष पुराना है। मूल रूप से डुल्या मारुति की मूर्ति एक काले पत्थर पर अंकित की गई है। इस मूर्ति की स्थापना श्रीसमर्थ रामदास स्वामी ने की थी। 

श्री कष्टभंजन हनुमान मंदिर, सारंगपुर (गुजरात)
अहमदाबाद-भावनगर के पास स्थित बोटाद जंक्शन से सारंगपुर 12 मील दूर है। महायोगिराज गोपालानंद स्वामी ने इस मूर्ति की प्रतिष्ठा की थी। जनश्रुति है कि प्रतिष्ठा के समय मूर्ति में भगवान हनुमान का आवेश हुआ और यह हिलने लगी। यह मंदिर स्वामीनारायण सम्प्रदाय का एकमात्र हनुमान मंदिर है। 

हंपी, कर्नाटक
बेल्लारी जिले के हंपी शहर में एक हनुमान मंदिर है। इन्हें यंत्रोद्धारक हनुमान कहा जाता है। यही क्षेत्र प्राचीन किष्किंधा नगरी है। संभवतः यहीं किसी समय वानरों का विशाल साम्राज्य स्थापित था। आज भी यहां अनेक गुफाएं हैं। 

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