यूपी के लखीमपुरी खीरी जिले की गोला तहसील में भी छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध भगवान शिव की नगरी गोला गोकर्णनाथ है, जहां पर दर्शन करने के लिए दूर-दूर से सावन का पवित्र माह चल रहा है और इस समय भक्त भगवान शिव के दर्शन करने लिए शिवनगरी जाते हैं। कोई कांवड़ यात्रा में शामिल होकर तो कोई अन्य माध्यमों से भोलेनाथ का आर्शीवाद लेने के लिए उनकी शरण में जाता है। यूपी के लखीमपुरी खीरी जिले की गोला तहसील में भी छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध भगवान शिव की नगरी गोला गोकर्णनाथ है, जहां पर दर्शन करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। गोला के गोकर्णनाथ के बारे में कहा जाता है कि सतयुग में लंका का राजा रावण भगवान शिव को यहां लाया था।

गोला गोकर्णनाथ के बारे में प्राचीन कथा

जैसा की प्राचीन कथाओं में बताया गया है कि लंका के राजा रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठिन तपस्या की। रावण की तपस्या से खुश होकर भगवान ने उससे वरदान मांगने को कहा तो रावण ने कहा कि वह उन्हें अपने साथ लंका ले जाना चाहता है। यह सुनकर सभी देवता परेशान हो गए और ब्रह्माजी के पास गए और कहा कि अगर शिव रावण के साथ लंका चले तो सृष्टि का कार्य कैसे होगा?

इसके बाद ब्रह्माजी ने भगवान शिव को सोच समझकर वरदान देने के लिए कहा। इस पर शिवजी ने रावण से कहा कि यदि तुम मुझे लंका ले जाना चाहते हो तो ले चलो लेकिन मेरी एक शर्त रहेगी। भगवान शिव ने रावण से कहा कि जहां भी मुझे भूमि स्पर्श हो जाएगी, मैं वही स्थापित हो जाउंगा। इस बात पर रावण सहमत हो गया। भगवान ने एक शिवलिंग का रूप धारण कर लिया। इसके बाद रावण शिवलिंग को लेकर जा रहा था।

इसी दौरान भगवान शिव ने रावण को लघुशंका की इच्छा जगा दी। काफी समय तक बर्दाश्त करने के बाद रावण ने एक चरवाहे को शिवलिंग पकड़ाकर लघुशंका करने लगा। इसी समय भगवान ने अपना वजन बढ़ा दिया और इससे चरवाहे ने रावण को आवाज लगाकर कहा कि वह अब इस शिवलिंग को उठाए नहीं रह सकता है। रावण लघुशंका करने में व्यस्त होने के कारण सुन नहीं पाया। इधर चरवाहे ने शिवलिंग को जमीन पर रख दिया।

यह है भूतनाथ की कहानी

जब रावण वापस आया और वह चरवाहे का मारने के लिए दौड़ा तो चरवाहे कुएं में गिर गया। इसके बाद रावण ने शिवलिंग को उठाने की बहुत कोशिश की लेकिन वह असफल रहा। इससे क्रोधित होकर रावण ने अंगुठे से शिवलिंग को जोर से दबा दिया, आज भी शिवलिंग पर रावण के अंगुठे का निशान है। रावण निराश होकर वापस लंका चला गया।

इसके बाद भगवान शिव ने चरवाहे की आत्मा को बुलाकर कहा कि आज के बाद लोग तुम्हें भूतनाथ के नाम से जानेंगे और मेरे दर्शन के बाद तुम्हारे दर्शन करने पर भक्तों को विशेष पूण्यलाभ मिलेगा। इसके बाद से श्रद्धालु भगवान के दर्शन करने के लिए गोला के गोकर्णनाथ आते हैं। सावन के महीने में भगवान शिव दर्शनों को आने वाले लाखों भक्त शिवलिंग के दर्शनों के बाद बाबा भूतनाथ के भी दर्शन अवश्य करते हैं।

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