Vinayak Chaturthi:गणेश चतुर्थी व्रत भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन गणेश जी की विशेष पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार हर महीने दो चतुर्थी आती हैं। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। हर महीने पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है, जबकि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
Vinayak Chaturthi 2024 : दिसंबर महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाएगा। इस दिन संध्या में व्रती चंद्रमा को अर्घ्य देंगी और भगवान गणेश और चन्द्र देव की पूजा करेंगी।
सभी देवताओं में गणेश जी का स्थान सर्वोपरि है। गणेश जी को सभी परेशानियों और बाधाओं को दूर करने वाला माना जाता है। भगवान गणेश की नियमित पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है।
Vinayak Chaturthi:विनायक चतुर्थी कब है?
पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि दिसम्बर 04 को प्रारम्भ होगी दोपहर 1:10 मिनट पर। तिथि का समापन 5 दिसम्बर को दोपहर 12:49 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, 5 दिसम्बर को विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा।
Vinayak Chaturthi:विनायक चतुर्थी पूजा विधि कैसे करें:
मान्यता के अनुसार चतुर्थी तिथि की पूजा दोपहर के समय करनी चाहिए। क्योंकि शाम के समय चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा को देखने से झूठा कलंक लगता है। मान्यता के अनुसार द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने विनायक चतुर्थी की रात को चंद्रमा देखा था, जिसके बाद उन्हें स्यामंतक मणि चोरी करने के लिए झूठा कलंक लगाया गया था।
इस दिन प्रात:काल स्नान कर व्रत का संकल्प लें और पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र कर पूजा प्रारंभ करें। भगवान गणेश को पीले फूलों की माला अर्पित करने के बाद धूप-दीप, नैवेद्य, अक्षत और उनकी प्यारी दूर्वा घास अर्पित करें। इसके बाद मिठाई या मोदक का भोग लगाएं। अंत में व्रत कथा पढ़कर गणेश जी की आरती करें।
मान्यता के अनुसार भगवान गणेश को सिंदूर बहुत प्रिय होता है इसलिए Vinayak Chaturthi विनायक चतुर्थी के दिन पूजा के समय गणेश जी को लाल रंग के सिंदूर का तिलक लगाएं। सिंदूर चढ़ाते समय निम्न मंत्र का जाप करें-
सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम् ।
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम् ॥
Vinayak Chaturthi:पूजा-विधि
1- भगवान गणेश जी का जलाभिषेक करें
2- गणेश भगवान को पुष्प, फल चढ़ाएं और पीला चंदन लगाएं
3- मोदक का भोग लगाएं
4- मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी व्रत की कथा का पाठ करें
5- ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करें
6- पूरी श्रद्धा के साथ गणेश जी की आरती करें
7- चंद्रमा के दर्शन करें और अर्घ्य दें
8- व्रत का पारण करें
9- क्षमा प्रार्थना करें
मंत्र– ॐ गणेशाय नमः
Vinayak Chaturthi:गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।