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- Create Date October 25, 2023
- Last Updated October 25, 2023
चतुश्लोकी भागवतम एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान विष्णु की स्तुति करता है। यह स्तोत्र चार श्लोकों में विभाजित है, प्रत्येक श्लोक में एक विशेष विषय का वर्णन है।
स्तोत्र का पहला श्लोक भगवान विष्णु के अवतारों की प्रशंसा करता है:
मत्स्य, कच्छप, वराह, नृसिंह, वामन, राम, कृष्ण, बुद्ध, कलकी, शेषनाग, विष्णु, नारायण, हरि॥
इस श्लोक का अर्थ है:
हे विष्णु, आपने मत्स्य, कच्छप, वराह, नृसिंह, वामन, राम, कृष्ण, बुद्ध, कलकी, शेषनाग, विष्णु और नारायण के रूप में अवतार लिया है। आप हरि हैं, जो सभी जीवों के रक्षक हैं।
स्तोत्र का दूसरा श्लोक भगवान विष्णु की महिमा की प्रशंसा करता है:
सर्वव्यापीं सर्वज्ञं सर्वशक्तिमं हरिम्। भजामि सदा तं भवभयहरं नराधीशम्॥
इस श्लोक का अर्थ है:
मैं हरि की भक्ति करता हूं, जो सर्वव्यापी, सर्वज्ञ और सर्वशक्तिमान हैं। वे भवभयहर हैं, जो जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्रदान करते हैं। वे नराधीश हैं, जो सभी प्राणियों के स्वामी हैं।
स्तोत्र का तीसरा श्लोक भगवान विष्णु की भक्ति के लाभों की प्रशंसा करता है:
यः भजते हरिं नित्यं भक्तिपूर्वकं मनसा। तं भजे हरि: सदा पद्मनाभः कल्याणदा॥
इस श्लोक का अर्थ है:
जो व्यक्ति हरि की भक्ति करता है, वह हरि की कृपा से सभी कल्याण प्राप्त करता है।
स्तोत्र का चौथा श्लोक भगवान विष्णु से प्रार्थना करता है कि वे भक्तों को अपने आशीर्वाद दें:
देहि मे शरणागताय हरि कृपां त्वम्। मम सर्वपापनाशनं कुरु कृपावलेन॥
इस श्लोक का अर्थ है:
हे हरि, कृपा करके मुझे अपनी शरण में लो। अपने कृपा से मेरे सभी पापों का नाश करो।
चतुश्लोकी भागवतम एक बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान विष्णु की महिमा और शक्ति का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान विष्णु के प्रति गहरा प्रेम और भक्ति विकसित करने में मदद करता है।
चतुश्लोकी भागवतम के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु निम्नलिखित हैं:
- यह स्तोत्र भगवान विष्णु की स्तुति करता है।
- यह स्तोत्र चार श्लोकों में विभाजित है, प्रत्येक श्लोक में एक विशेष विषय का वर्णन है।
- यह स्तोत्र भगवान विष्णु के अवतारों, महिमा, भक्ति के लाभों और भक्तों के लिए प्रार्थना का वर्णन करता है।
चतुश्लोकी भागवतम एक बहुत ही महत्वपूर्ण और लोकप्रिय स्तोत्र है। यह स्तोत्र सभी भक्तों के लिए पढ़ने और ध्यान करने के लिए उपयुक्त है।
चतुःश्लोकीभागवतम् Chatuhsloki Bhagavatam
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