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  • Create Date October 27, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

आनंदस्तोत्रम् एक भक्तिपूर्ण स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की स्तुति करता है। यह स्तोत्र भगवान कृष्ण के रूप और गुणों का वर्णन करता है। आनंदस्तोत्रम् की रचना श्रीरूप गोस्वामी द्वारा की गई थी।

आनंदस्तोत्रम् में 12 श्लोक हैं। प्रत्येक श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण की एक अलग विशेषता की स्तुति करते हैं।

प्रथम श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण को "परमानन्दो गोविन्दो नन्दनन्दनः" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि वे परम आनंद हैं, जो नन्द के पुत्र हैं।

दूसरे श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण को "तमालश्यामलरुचिः शिखण्डकृतशेखरः" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि वे एक काले रंग के बालों के साथ एक सुंदर व्यक्ति हैं।

तीसरे श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण को "पीतकौशेयवसनो मधुरस्मितशोभितः" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि वे एक पीले रंग के वस्त्र पहने हुए हैं, और उनकी मुस्कान बहुत ही मीठी है।

चौथे श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण को "कन्दर्पकोटिलावण्यो वृन्दारण्यमहोत्सवः" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि वे एक बहुत ही सुंदर व्यक्ति हैं, और वे वृंदावन में एक उत्सव के लिए तैयार हैं।

पाँचवें श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण को "वैजयन्तीस्फुरद्वक्षाः कक्षात्तलगुडोत्तमः" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि उनके कान में कमल के फूलों की माला है, और उनके कंधों पर एक सुंदर स्वर्ण आभूषण है।

छठे श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण को "कुञ्जापितरतिर्गुञ्जापुञ्जमञ्जुलकण्ठकः" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि वे एक मधुर स्वर में गा रहे हैं, और उनके गले में गुलाब की माला है।

सातवें श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण को "कर्णिकाराढ्यकर्णश्रीधृतिस्वर्णाभवर्णकः" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि उनके कानों में कुंडल हैं, और उनके शरीर पर सोने का आभूषण है।

आठवें श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण को "मुरलीवादनपटुर्वल्लवीकुलवल्लभः" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि वे बांसुरी बजाने में माहिर हैं, और वे गोपियों के प्रिय हैं।

नवें श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण को "गान्धर्वाप्तिमहापर्वा राधाराधनपेशलः" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि वे एक गांधर्व उत्सव में राधिका की सेवा करने में माहिर हैं।

दसवें श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण को "कृष्णचन्द्रस्य नाम विंशतिसंज्ञितम्" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि भगवान कृष्ण के 20 नाम हैं।

ग्यारहवें श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण को "आनन्दाख्यं महास्तोत्रं यः पठेच्छृणुयाच्च यः" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि जो कोई भी इस स्तोत्र को पढ़ता या सुनता है, वह परम आनंद प्राप्त करता है।

बारहवें श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें अपनी कृपा और आशीर्वाद प्रदान करें।

आनंदस्तोत्रम् एक शक्तिशाली भक्तिपूर्ण अभ्यास है जो भक्तों को भगवान कृष्ण की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान कृष्ण के साथ एक गहरी आध्यात्मिक संबंध विकसित करने में भी मदद कर सकता है।

आनंदस्तोत्रम् के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं:

  • यह स्तोत्र भगवान कृष्ण के रूप और गुणों की स्तुति करता है।
  • यह स्तोत्र एक शक्तिशाली भक्तिपूर्ण अभ्यास है।
  • यह स्तोत्र भक्तों को भगवान कृष्ण के साथ एक गहरी आध्यात्मिक संबंध विकसित करने में मदद कर सकता है।

आनन्दस्तोत्रम् Anandstotram


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