लोक देवता भगवान विष्णु के अवतार श्री देवनारायण Devnarayan Jayanti जी की जयंती गुर्जर एवं सर्व समाज के श्रद्धालुओं द्वारा प्रतिवर्ष पूरे देश में बड़ी धूमधाम से माघ मास के शुक्ल पक्ष में सूर्य सप्तमी को श्री देवनारायण जयंती मनाई जाती है। इस अवसर पर देश के कोने-कोने में राष्ट्रीय स्तर पर झाँकी, शोभायात्रा, आरती और भंडारे जैसे कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस उत्सव में सभी क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।

देवनारायण जयंती कैसे मनाई जाती है?
❀ गुर्जर समाज के देवता देवनारायण भगवान की जयंती पर गुर्जर समाज के लोग एक दिन का उपवास रखते हैं।
❀ बाबा के दरबार में महिलाएं चूरमा चढ़ाते हैं।
❀ शाम को देवनारायण जी के मंदिर में महाआरती कर प्रसाद वितरण किया जाता है।
❀ रात्रि में भजन संध्या का आयोजन किया जाता है, इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी उपस्थित रहते हैं।

कौन हैं देव नारायण जी Devnarayan Jayanti ?

भगवान श्री देवनारायण Devnarayan Jayanti भगवान विष्णु के अवतार, कलयुग के अवतार हैं, उन्होंने हमेशा अपनी शक्तियों का उपयोग लोगों के कल्याण के लिए किया और हमेशा उनकी मदद की। उनके सुविचारों, आदर्श शासन, समता, अहिंसा, शांति के संदेश प्रचार करते थे।

देवनारायण को गुर्जर समाज में भगवान के रूप में मान्यता प्राप्त है। स्थानीय लोगों के अनुसार जब देवनारायण को ज्ञान की प्राप्ति हुई तो उन्होंने अपने जीवनकाल में कई चमत्कार भी दिखाए। इसी बीच जब धार के राजा जयसिंह की पुत्री पीपलदे बहुत बीमार हो गई थी, तब देवनारायण ने अपनी शक्तियों से उसे ठीक किया।

जिसके बाद रजामंदी से राजा जयसिंह ने उसकी शादी अपने साथ करा दी। माना जाता है कि देवनारायण ने सूखी नदी से पानी निकाला था। कहा जाता है कि भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद देवनारायण Devnarayan Jayanti को ज्ञान और शक्तियां प्राप्त हुईं, जिनका इस्तेमाल उन्होंने लोक कल्याण के लिए किया। यही कारण है कि उस समय से लेकर आज तक उन्हें विशेष रूप से गुर्जर समुदाय द्वारा भगवान के रूप में पूजा जाता है और उन्हें लोक देवता माना जाता है।

कहा जाता है कि भगवान कृष्ण की तरह देवनारायण भी गायों के रक्षक थे। प्रतिदिन प्रात:काल उठकर देवनारायण जी गौ माता के दर्शन करते थे उसके बाद ही वे आगे का कोई कार्य करते थे। लोक कथाओं के अनुसार देवनारायण ने अपने अनुयायियों से हमेशा गायों की रक्षा करने को कहा था।

देवनारायण जयंती 2025: चमत्कारी देवता की कथा, पूजा विधि और महत्व

देवनारायण जयंती Devnarayan Jayanti हर वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। भगवान देवनारायण को हिंदू धर्म में एक चमत्कारी और दिव्य अवतार माना जाता है। यह दिन विशेष रूप से राजस्थान और मध्य प्रदेश में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।

भगवान देवनारायण कौन हैं?

भगवान देवनारायण को विष्णु जी का अवतार माना जाता है। लोक मान्यता के अनुसार, वे गुर्जर समुदाय के आराध्य देव हैं और उन्होंने समाज में धर्म और न्याय की स्थापना के लिए कई चमत्कार किए। उनका जन्म 10वीं शताब्दी में हुआ था, और वे अपने अद्भुत पराक्रम और दैवीय शक्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं।

देवनारायण जयंती का महत्व

इस दिन भगवान देवनारायण की पूजा करने से सुख-समृद्धि और परिवार में शांति बनी रहती है। भक्तों का विश्वास है कि इस दिन श्रद्धा और भक्ति से पूजा करने पर सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और जीवन में सफलता मिलती है। विशेष रूप से राजस्थान के लोग इस दिन धूमधाम से उत्सव मनाते हैं।

देवनारायण जयंती की पूजा विधि

  1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. भगवान देवनारायण की मूर्ति या चित्र पर फूल, चंदन, हल्दी और रोली अर्पित करें।
  3. गंगाजल और दूध से अभिषेक करें।
  4. देवनारायण भगवान की कथा का पाठ करें और भजन-कीर्तन करें।
  5. धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित कर भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करें।
  6. जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें।

देवनारायण जयंती पर विशेष आयोजन

राजस्थान में इस दिन भव्य शोभायात्राएँ निकाली जाती हैं। विभिन्न स्थानों पर भजन-कीर्तन और जागरण का आयोजन होता है। इस पर्व पर लाखों श्रद्धालु भगवान देवनारायण के मंदिरों में दर्शन के लिए आते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

Devnarayan Jayanti

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