Daridrta Naashak Stotra:दरिद्रता नाशक स्तोत्र: दरिद्रता नाशक स्तोत्र महर्षि वशिष्ठ द्वारा रचित है। संकट बहुत अधिक हो तो शिव मंदिर में या शिव प्रतिमा के सामने प्रतिदिन तीन बार इसका पाठ करने से विशेष लाभ होगा। क्लेशग्रस्त व्यक्ति यदि स्वयं पाठ करे तो उसे उत्तम फल की प्राप्ति होती है, किन्तु यदि कोई स्वजन, पत्नी या माता-पिता आदि कोई व्यक्ति इसका पाठ करें तो अधिक लाभ होता है।
यह स्तोत्र भगवान शिव जी को समर्पित है! नियमित रूप से इसका पाठ करने से पूर्व तीन बार विशेष रूप से भगवान शिव को दी जाने वाली दरिद्रता का नाश करने वाले स्तोत्र का जाप करना चाहिए। दरिद्रता नाशक स्तोत्र ऋषि वशिष्ठ द्वारा रचित है। दरिद्रता नाशक का अर्थ है दरिद्रता का नाश। दरिद्रता केवल शारीरिक ही नहीं मानसिक भी होती है। आज के कलिकाल में अधिकांश मनुष्य मानसिक दरिद्रता, नकारात्मक भावनाओं-काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, स्वार्थ, ईर्ष्या, भय आदि से ग्रसित हैं।
भगवान शिव की पूजा मनुष्य को भौतिक सुख-समृद्धि के साथ ज्ञान प्रदान कर मन से समृद्ध बनाती है, अर्थात स्वस्थ मन प्रदान करती है, क्योंकि भगवान शिव के सिर पर चंद्रमा है और चंद्रमा मन का कारक है। इसलिए प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा के बाद या जब भी समय मिले, एक बार दारिद्रय नाशक स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए, क्योंकि ‘स्वस्थ मन ही स्वस्थ शरीर है।’ यह सभी सुखों के नाश और दुखों के निवारण का आधार है।
यदि संकट बहुत अधिक हो तो शिव मंदिर में या शिव की प्रतिमा के समक्ष प्रतिदिन तीन बार इसका पाठ करने से विशेष लाभ होगा। क्लेशग्रस्त व्यक्ति यदि स्वयं पाठ करे तो उसे उत्तम फल की प्राप्ति होती है, परंतु इसके स्थान पर कोई व्यक्ति जैसे कि कोई परिजन या पत्नी या माता-पिता पाठ करें तो अधिक लाभ होता है।
Daridrta Naashak Stotra:दरिद्र नाशक स्तोत्र के लाभ
Daridrta Naashak Stotra:प्रतिदिन भगवान शिव के ‘दरिद्र नाशक स्तोत्र’ से अभिषेक करने से व्यक्ति को स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है तथा दरिद्रता से मुक्ति मिलती है। जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाने के लिए आप दरिद्र नाशक स्तोत्र का पाठ कर सफल हो सकते हैं। जीवन में ऊंचाइयों को छूने के लिए ये उपाय/सुझाव आपके लिए उपयोगी सिद्ध होंगे। ऋषि वशिष्ठ द्वारा रचित दरिद्र नाशक स्तोत्र समस्त रोगों को दूर करने वाला, शीघ्र ही समस्त सम्पत्तियों को देने वाला तथा पितृवंशीय परम्परा को बढ़ाने वाला है। जो व्यक्ति तीनों कालों में दरिद्र नाशक स्तोत्र का पाठ करता है, उसे निश्चित रूप से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। किसे करना चाहिए
Daridrta Naashak Stotra:इस स्तोत्र का पाठ
Daridrta Naashak Stotra:दरिद्रता से ग्रस्त तथा आय में कमी वाले व्यक्ति को परिस्थितियों में सुधार के लिए नियमित रूप से दरिद्र नाशक स्तोत्र का जाप करना चाहिए।
दरिद्रता नाशक स्तोत्र | Daridrta Naashak Stotra
जय देव जगन्नाथ, जय शंकर शाश्वत। जय सर्व-सुराध्यक्ष, जय सर्व-सुरार्चित।।
जय सर्व-गुणातीत, जय सर्व-वर-प्रद। जय नित्य-निराधार, जय विश्वम्भराव्यय।।
जय विश्वैक-वेद्येश, जय नागेन्द्र-भूषण। जय गौरी-पते शम्भो, जय चन्द्रार्ध-शेखर।।
जय कोट्यर्क-संकाश, जयानन्त-गुणाश्रय। जय रुद्र-विरुपाक्ष, जय चिन्त्य-निरञ्जन।।
जय नाथ कृपा-सिन्धो, जय भक्तार्त्ति-भञ्जन। जय दुस्तर-संसार-सागरोत्तारण-प्रभो।।
प्रसीद मे महा-भाग, संसारार्त्तस्य खिद्यतः। सर्व-पाप-भयं हृत्वा, रक्ष मां परमेश्वर।।
महा-दारिद्रय-मग्नस्य, महा-पाप-हृतस्य च। महा-शोक-विनष्टस्य, महा-रोगातुरस्य च।।
ऋणभार-परीत्तस्य, दह्यमानस्य कर्मभिः। ग्रहैः प्रपीड्यमानस्य, प्रसीद मम शंकर।।
फलश्रुति
दारिद्रयः प्रार्थयेदेवं, पूजान्ते गिरिजा-पतिम्। अर्थाढ्यो वापि राजा वा, प्रार्थयेद् देवमीश्वरम्।।
दीर्घमायुः सदाऽऽरोग्यं, कोष-वृद्धिर्बलोन्नतिः। ममास्तु नित्यमानन्दः, प्रसादात् तव शंकर।।
शत्रवः संक्षयं यान्तु, प्रसीदन्तु मम गुहाः। नश्यन्तु दस्यवः राष्ट्रे, जनाः सन्तुं निरापदाः।।
दुर्भिक्षमरि-सन्तापाः, शमं यान्तु मही-तले। सर्व-शस्य समृद्धिनां, भूयात् सुख-मया दिशः।।