पूर्व काल में भस्मासुर नाम का एक राक्षस हुआ करता था। उसको समस्त विश्व पर राज करना था। अपने इसी प्रयोजन को सिद्ध करने हेतु वह शिव की कठोर तपस्या करता है। अंत में भोलेनाथ उसकी बरसों की गहन तपस्या से प्रसन्न…
श्री राम और रावण के बीच हुए अंतिम युद्ध के बाद रावण जब युद्ध भूमि पर, मरणशैया पर पड़ा होता है तब भगवान राम लक्ष्मण को समस्त वेदो के ज्ञाता, महापंडित रावण से राजनीति और शक्ति का ज्ञान प्राप्त करने को…
हस्तिनापुर नरेश धृतराष्ट्र जन्म से अंध थे। इस कारण वह ज्येष्ठ पुत्र होते हुए भी राजा बनने योग्य नहीं थे। परंतु राजा पांडु एक गंभीर बीमारी का शिकार हो जाने की वजह से वन प्रस्थान कर गए थे और एक राज्य का…
एक बार राजा परीक्षित किसी तपस्वी ऋषि का अपमान कर देते हैं। ऋषिवर क्रोधित हो उन्हें सर्प दंश से मृत्यु का श्राप दे देते हैं। सावधानियां रखने के बावजूद ऋषि वाणी अनुसार एक दिन फूलों की टोकरी में कीड़े के रूप में छुपे…
नाग पंचमी पौराणिक कथा पौराणिक कथा के अनुसार जनमेजय अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के पुत्र थे। जब जनमेजय ने पिता की मृत्यु का कारण सर्पदंश जाना तो उसने बदला लेने के लिए सर्पसत्र नामक यज्ञ का आयोजन किया। नागों…
विष्णु भगवान की तीन पत्नियां थीं। लक्ष्मी, सरस्वती और गंगा। तीनों बड़ी गुणवती और सौम्य हृदयया थीं, पर तीनों की अलग-अलग प्रकृति थी। तीनों भगवान विष्णु के प्रति मन में अनन्य प्रेम रखती थीं। स्वयं विष्णु भगवान भी तीनों को…
प्रसंग द्वैत वन का है। चित्रसेन गंधर्व के बन्धन से राजा दुर्योधन को छुडाकर युधिष्ठिर पुनः द्वैत वन लौट गए। वहां एक ब्राह्मण घबराया हुआ पहुंचा और युधिष्ठिर से बोला, “राजन! मेरा तो बुरा हाल हुआ, अरणियां-सहित मैंने अपना बर्तन…
प्राचीन समय में उज्जयिनी नगरी में राजा आदित्य सेन राज करते थे। वह बडे ही शूरवीर तथा प्रजा-वत्सल थे। एक दिन अपने कुछ सैनिकों, मंत्रियों तथा रानी के साथ वे शिकार करने को निकले। घने जंगल में जाकर एक हिरन…
पूर्वकाल में उत्कल (उड़ीसा) प्रदेश के शबरपल्ली नगर में विश्ववसु नामक एक व्यक्ति रहता था। वह विष्णु का भक्त था। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान नीलमाधव साकार रूप में उसके हाथ से नैवेद्य ग्रहण करते थे। नीलमाधव की मूर्ति…
बहुत पहले की बात है, नरोत्तम नाम का एक ब्राह्मण था। उसके घर में मां बाप थे तथापि वह उनकी परिचर्या न कर तीर्थयात्रा के लिए निकल पड़ा। उसने अनेक तीर्थों में पर्यटन तथा अवगाहन किया, जिसके प्रताप से उसके…
एक बार मुनियों में परस्पर इस विषय पर बड़ा विवाद हुआ कि किस समय का किया गया थोड़ा-सा भी पुण्य अत्यधिक फलदायक होता है तथा कौन उसका सुविधापूर्वक अनुष्ठान कर सकता है?’ अन्त में वे इस सन्देह के निवारण के…
प्राचीन काल में एक राजा थे, जिनका नाम था इन्द्रद्युम्न । वे बड़े दानी, धर्मज्ञ और सामर्थ्यशाली थे। धनार्थियों को वे सहस्र स्वर्ण मुद्राओं से कम दान नहीं देते थे। उनके राज्य में सभी एकादशी व्रत रखते थे। गगन की…