यह पौराणिक कथा महाभारत काल का एक प्रसंग है। यह बात उस समय की है जब आचार्य द्रोणाचार्य सभी राजकुमारों को धनुर्विद्या सिखाते थे। और सभी राजकुमार गुरु द्रोणाचार्य के साथ ही वन में रहते थे। यों तो सभी राजकुमार…
भगवान शिव को कालों के काल महाकाल हैं। साक्षात् मृत्यु में भी उनका सामना करने का साहस नहीं है। वे मृत्युंजय हैं, अविनाशी हैं, आदि हैं, अनंत हैं। भगवान शिव इतने भोले हैं कि वे अपने भक्त की पुकार पर…
सुदर्शन चक्र पौराणिक कथाओं (Pauranik Katha) के अनुसार ऐसा अस्त्र है जो विरोधी के हर वार को विफल कर देता था ऐसा अस्त्र जो अभेद और अपना कार्य को पूरा करने के बाद ही वापस आता था । आखिर महाभारत के बाद…
एक बार सहस्त्रबाहु अर्जुन अपनी सेना के साथ जंगल में ब्रह्मण के लिए गए होते है। उसी जंगल में परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि का आश्रम भी रहता है । सहस्त्रबाहु अर्जुन जंगल में विश्राम करने लिए लिए जमदग्नि के…
पुराणों के अनुसार भगवान परशुराम को श्री हरि विष्णु के अवतार माना गया है। भगवान विष्णु का यह सबसे क्रूर अवतार था। शिव जी द्वारा प्राप्त परशु के कारण ही उनका नाम परशुराम पड़ा था। परशुराम महर्षि जमदग्नि और माता…
दोस्तों महाभारत कथा से तो आप भली-भांति परिचित होंगे ही महाभारत युद्ध क्यों और कैसे और किन योद्धाओं में लड़ा गया था यह तो आपको पता ही होगा और भगवान श्री कृष्ण ने किस का साथ दिया था। लेकिन इसमें…
सहस्रबाहु अर्जुन एक पराकर्मी और शूर वीर योद्धा थे । भगवान् द्वारा उन्हें हर प्रकार की सिद्धियां प्राप्त थी और वायु की गति से पूरे संसार में कोई भी रूप धारण कर जब चाहे विचरण कर सकते थे। पुराणो के अनुसार…
चौबीस बार लगातार प्रयास करने के बाद, आखिरकार राजा विक्रमादित्य शव को श्मशान ले जाने में कामयाब हो जाते हैं और बेताल शव को त्याग देता है। आगे जानिए क्या हुआ जब राजा विक्रमादित्य शव को लेकर योगी के पास…
विक्रम और बेताल रिश्ता क्या हुआ, बेताल पच्चीसी – चौबीसवीं कहानी राजा विक्रमादित्य कई प्रयासों के बाद बेताल को एक बार फिर पकड़ लेते हैं और श्मशान की ओर चल लेते हैं। हर बार की तरह इस बार भी बेताल…
रात के अंधेरे और घने जंगल में कुछ देर भटकने के बाद राजा विक्रमादित्य ने फिर से बेताल को अपनी पकड़ में ले लिया। बेताल ने हर बार की तरह कहानी सुनाने और सवालों का सिलसिला जारी रखा। बेताल ने…
जब राजा विक्रमादित्य ने एक बार फिर बेताल को पकड़ा, तो उसने हर बार की तरह एक नई कहानी शुरू कर दी। बेताल ने कहानी सुनाते हुए राजा विक्रमादित्य से कहा…. कुसुमपुर नाम के एक नगर में एक ब्राह्मण परिवार…
सम्राट विक्रमादित्य ने योगी को दिए वचन को पूरा करने के लिए एक बार फिर बेताल को पेड़ से उतारकर अपने कंधे पर बैठा दिया। इसके बाद वह योगी के पास चल दिए। रास्ता तय करने के लिए बेताल ने…