शुक्र ग्रह कल राशि परिवर्तन करने जा रहा है। इस दिन शुक्र देव कुंभ राशि में प्रवेश कर जाएंगे। शुक्र देव को ज्योतिष में विशेष स्थान प्राप्त है। ज्योतिष में शुक्र को भौतिक सुख, वैवाहिक सुख, भोग-विलास, शुक्र ग्रह आज राशि परिवर्तन…
नवसंवत्सर की शुरुआत में मंगल और राहु-केतु अपनी उच्च राशि में रहेंगे वहीं, शनि खुद की ही राशि मकर में होगा। नववर्ष के सूर्योदय की कुंडली में शनि-मंगल की युति से धन, भाग्य और लाभ का शुभ योग बन रहा…
नवसंवत्सर की शुरुआत में मंगल और राहु-केतु अपनी उच्च राशि में रहेंगे वहीं, शनि खुद की ही राशि मकर में होगा। नववर्ष के सूर्योदय की कुंडली में शनि-मंगल की युति से धन, भाग्य और लाभ का शुभ योग बन रहा…
इस पर्व का प्राचीनतम नाम वासन्ती नव सस्येष्टि है अर्थात् बसन्त ऋतु के नये अनाजों से किया हुआ यज्ञ, परन्तु होली होलक का अपभ्रंश है। यथा–तृणाग्निं भ्रष्टार्थ पक्वशमी धान्य होलक: (शब्द कल्पद्रुम कोष) अर्धपक्वशमी धान्यैस्तृण भ्रष्टैश्च होलक: होलकोऽल्पानिलो मेद: कफ…
श्री कृष्ण के लीला काल का समय था, गोकुल में एक मोर रहता था, वह मोर बहुत चतुर था और श्री कृष्ण का भक्त था, वह श्री कृष्ण की कृपा पाना चाहता था। इसके लिए उस मोर ने एक युक्ति…
भगवान शिव का ध्यान करने मात्र से मन में जो एक छवि उभरती है वो एक वैरागी पुरुष की। इनके एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे हाथ में डमरु, गले में सर्प माला, सिर पर त्रिपुंड चंदन लगा हुआ है। आप…
हम आज पवनसुत हनुमान की कथा सुनाते हैं,पावन कथा सुनाते हैं ।वीरों के वीर उस महावीर की गाथा गाते हैं,हम कथा सुनाते हैं ।जो रोम-रोम में सिया राम की छवि बासाते हैं,पावन कथा सुनाते हैं ।वीरों के वीर उस महावीर…
अक्षय तृतीया की एक कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक धर्मदास नामक वैश्य था। उसका सदाचार तथा देव एवं ब्राह्मणों के प्रति उसकी श्रद्धा अत्यधिक प्रसिद्ध थी।अक्षय तृतीया व्रत के महात्म्य को सुनने के पश्चात उसने अक्षय तृतीया पर्व…
प्राचीन काल में व्रज के लोगों का मुख्य व्यवसाय गौ-चारण ही था इसलिए मुख्य व्यवसाय से सम्बंधित कुछ वर्जनाएं भी थी। अब इसे वर्जनाएं कहें या सामाजिक नियम बालक का जब तक मुंडन नहीं हो जाता तब तक उसे जंगल…
द्म पुराण के अनुसार देवर्षि नारदजी ने भगवान शिवजी से पूछा: सर्वेश्वर! आप त्रिस्पृशा नामक व्रत का वर्णन कीजिये, जिसे सुनकर लोग कर्मबंधन से मुक्त हो जाते हैं।महादेवजी बोले: विद्वान्! देवाधिदेव भगवान ने मोक्षप्राप्ति के लिए इस व्रत की सृष्टि…
ॐ हौं जूं स: ॐ भू र्भुव: स्व:।ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टि वर्धनम् ॥उर्वारुक मिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।स्व: भुव: भू ॐ स: जूं हौं ॐ ॥द्वादश ज्योतिर्लिंगों के अतिरिक्त अनेक ऐसे हिरण्यगर्भ शिवलिंग हैं, जिनका बड़ा अदभुत महातम्य है। इनमें…
प्राचीन काल में एक सेठजी के सात पुत्र थे। सातों के विवाह हो चुके थे। सबसे छोटे पुत्र की पत्नी श्रेष्ठ चरित्र की विदूषी और सुशील थी, परंतु उसके भाई नहीं था।एक दिन बड़ी बहू ने घर लीपने को पीली…