Anadi Kalpeshwar Stotra:अनादि कल्पेश्वर स्तोत्र हिंदी (Anadi Kalpeshwar Stotra) एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है, इसका नियमित रूप से पाठ करने से जातक को सभी प्रकार के डर, भय, रोग और तनाव से मुक्ति प्राप्त होने लगती है। अनादि कल्पेश्वर स्तोत्र का पाठ रोजाना करने से मनुष्य को सभी तीर्थों का फल भी शीघ्र ही प्राप्त होता हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद बना रहता है।

Anadi Kalpeshwar Stotra:अनादि कल्पेश्वर स्तोत्र भगवान शिव की स्तुति में रचित एक पवित्र स्तोत्र है, जो उनके अनादि और सर्वशक्तिमान स्वरूप का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनके अनंत आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है। इसका पाठ जीवन में शांति, समृद्धि, और संकटों से मुक्ति के लिए किया जाता है।

Anadi Kalpeshwar Stotra:अनादि कल्पेश्वर स्तोत्र का महत्व

  • यह स्तोत्र भगवान शिव की महिमा का बखान करता है, जो अनादि, अनंत और सृष्टि के पालनकर्ता और संहारकर्ता हैं।
  • इसे पढ़ने से पापों का नाश होता है और व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

कब और कैसे करें पाठ?

कब करना चाहिए?

  • विशेष दिन:
    • सोमवार को इसका पाठ करना सबसे शुभ माना जाता है।
    • महाशिवरात्रि, श्रावण मास, और त्रयोदशी तिथि के दिन इसका विशेष फल मिलता है।
  • समय:
    • ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) या संध्या के समय पाठ करें।

कैसे करें?

  1. स्नान और शुद्धिकरण:
    • पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
    • पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  2. पूजन सामग्री:
    • बेलपत्र, धतूरा, भस्म, दीपक, धूप, चंदन और सफेद या लाल फूल।
  3. मंत्र आरंभ:
    • भगवान शिव का ध्यान करते हुए “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें।

कर्पूरगौरो भुजगेन्द्रहारो गङ्गाधरो लोकहितावहः सः ।

सर्वेश्र्वरो देववरोऽप्यघोरो योऽनादिकल्पेश्र्वर एव सोऽसौ ॥ १ ॥

कैलासवासी गिरिजाविलासी श्मशानवासी सुमनोनिवासी ।

काशीनिवासी विजयप्रकाशी योऽनादिकल्पेश्र्वर एव सोऽसौ ॥ २ ॥

त्रिशूलधारी भवदुःखहारी कन्दर्पवैरी रजनीशधारी ।

कपर्दधारी भजकानुसारी योऽनादिकल्पेश्र्वर एव सोऽसौ ॥ ३ ॥

लोकाधिनाथः प्रमथाधिनाथः कैवल्यनाथः श्रुतिशास्त्रनाथः ।

विद्यार्थनाथः पुरुषार्थनाथो योऽनादिकल्पेश्र्वर एव सोऽसौ ॥ ४ ॥

लिङ्गं परिच्छेत्तुमधोगतस्य नारायणश्र्चोपरि लोकनाथः ।

बभूवतुस्तावपि नो समर्थौ योऽनादिकल्पेश्र्वर एव सोऽसौ ॥ ५ ॥

यं रावणस्ताण्डवकौशलेन गीतेन चातोषयदस्य सोऽत्र ।

कृपाकटाक्षेण समृद्धिमाप योऽनादिकल्पेश्र्वर एव सोऽसौ ॥ ६ ॥

सकृच्च बाणोऽवनमय्यशीर्षं यस्याग्रतः सोप्यलभत्समृद्धिम् ।

देवेन्द्रसम्पत्त्यधिकां गरिष्ठां योऽनादिकल्पेश्र्वर एव सोऽसौ ॥ ७ ॥

गुणान्विमातुं न समर्थ एष वेषश्र्च जीवोऽपि विकुण्ठितोऽस्य ।

श्रुतिश्र्च नूनं चलितं बभाषे योऽनादिकल्पेश्र्वर एव सोऽसौ ॥ ८ ॥

अनादिकल्पेश उमेश एतत् स्तवाष्टकं यः पठति त्रिकालम् ।

स धौतपापोऽखिललोकवन्द्यं शैवं पदं यास्यति भक्तिमांश्र्चेत् ॥ ९ ॥

॥ इति श्रीवासुदेवानन्दसरस्वतीकृतमनादिकल्पेश्वरस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

Anadi Kalpeshwar Stotra:अनादि कल्पेश्वर स्तोत्र विशेषताऐ:

Anadi Kalpeshwar Stotra:अनादि कल्पेश्वर स्तोत्र के साथ-साथ यदि श्री नारायण अष्टकम का पाठ किया जाए तो, अनादि कल्पेश्वर स्तोत्र का बहुत लाभ मिलता है, यह स्तोत्र शीघ्र ही फल देने लग जाता है। शिव अमोघ कवच का पाठ करने से मनोवांछित कामना पूर्ण होती है। मन की शांति और जीवन में से सभी बुराईयों को दूर रखने के लिए लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। स्तोत्र का महत्व समझने के लिए स्तोत्र शक्ति पुस्तक को पढना चाहिए। सूर्य ग्रह के अशुभ फल से बचने के लिए सूर्य मंत्र  सबसे अच्छा उपाय है

Anadi Kalpeshwar Stotra

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