शिवरात्रि व्रत साल मे 12/13 बार आने वाला मासिक व्रत का त्यौहार है, अतः इस व्रत को मासिक शिवरात्रि भी कहा जाता है। जोकि अमावस्या से पहिले कृष्णपक्ष की चतुर्दशी के दिन आता है। मासिक शिवरात्रियों में से दो सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं, फाल्गुन त्रियोदशी महा शिवरात्रि के नाम से प्रसिद्ध है और दूसरी सावन शिवरात्रि के नाम से जानी जाती है। यह त्यौहार भगवान शिव-पार्वती को समर्पित है, इस दिन भक्तभगवान शिव के प्रतीक शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते हैं।
यह लोकप्रिय हिंदू व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। कोई भी व्रत या पूजा तभी उत्तम फल देती है जब उसे सही विधि से किया जाता है। तो आइए जानते हैं क्या है मासिक शिवरात्रि व्रत करने की सही विधि और अनुष्ठान।
मासिक शिवरात्रि शुभ मुहूर्त (Masik Shivratri Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 27 जनवरी को रात 08 बजकर 34 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 28 जनवरी को शाम 07 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी। मासिक शिवरात्रि पर निशा काल में शिव-शक्ति की पूजा होती है। अतः 27 जनवरी को माघ माह की शिवरात्रि मनाई जाएगी।
मासिक शिवरात्रि शुभ योग (Masik Shivratri Shubh Yog)
मासिक शिवरात्रि पर हर्षण योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग देर रात 28 जनवरी को रात 01 बजकर 57 मिनट तक है। इसके साथ ही भद्रावास का भी संयोग बन रहा है। भद्रावास रात 08 बजकर 34 मिनट से है। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर एक मनोकामना पूरी होगी।
पंचांग
सूर्योदय – सुबह 07 बजकर 12 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 05 बजकर 56 मिनट पर
शुभ समय
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 05 बजकर 26 मिनट से 06 बजकर 19 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 21 मिनट से 03 बजकर 04 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 54 मिनट से 06 बजकर 20 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12 बजकर 07 मिनट से 01 बजे तक
मासिक शिवरात्रि व्रत की पूजा विधि क्या है?
❀ चतुर्दशी तिथि पर सुबह उठकर स्नान करें और सफ़ेद रंग के वस्त्र धारण करें।
❀ भगवन के सामने द्वीप प्रज्वलित कर व्रत का संकल्प लिया जाता है ।
❀ पूरे दिन उपवास करने के बाद प्रदोष काल में किसी मंदिर में जाकर पूजा करनी चाहिए।
❀ यदि आप मंदिर नहीं जा सकते हैं तो पूजा स्थल या घर के साफ-सुथरे स्थान पर शिवलिंग स्थापित करके पूजा करनी चाहिए।
❀ शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, घी, बेलपत्र और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए।
❀ पूजा और अभिषेक के दौरान शिव जी के पंचाक्षरी मंत्र नमः शिवाय का जाप करते रहें।