प्राचीन काल की बात है। नैमिषारण्य क्षेत्र में देवताओं का एक महान यज्ञ चल रहा था। यमराज ने यज्ञ में दीक्षा ले ली थी, इसलिए वे यज्ञीय पशुओं के अतिरिक्त और किसी का वध नहीं करते थे। इससे मर्त्य-लोक के…
रामायण में जब श्रीराम ने बालि को बाण मारा तो वह घायल होकर पृथ्वी पर गिर पड़ा था। इस अवस्था में जब पुत्र अंगद उसके पास आया तब बालि ने उसे ज्ञान की कुछ बातें बताई थीं। ये बातें आज…
सुदामा को गरीबी क्यों मिली?- अगर अध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा जाये तो सुदामा जी बहुत धनवान थे। जितना धन उनके पास था किसी के पास नही था । लेकिन अगर भौतिक दृष्टि से देखा जाये तो सुदामाजी बहुत निर्धन थे…
श्री राम जी ने स्वयं कहा है: अवधपुरी सम प्रिय नहि सोऊ।यह प्रसंग जानइ कोउ कोऊ ।। एक बार लक्ष्मण जी ने तीर्थ यात्रा जाने के लिए श्री राम जी से प्रार्थना करने लगे । श्री राम जी ने यात्रा…
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, बाल्यकाल में जब हनुमान सूर्यदेव को फल समझकर खाने को दौड़े तो घबराकर देवराज इंद्र ने हनुमानजी पर वज्र का वार किया। वज्र के प्रहार से हनुमान निश्तेज हो गए। यह देखकर वायुदेव बहुत क्रोधित हुए…
एक समय की बात है, ब्रह्मा जी ने सरस्वती से कहा तुम किसी योग्य पुरुष के मुख्य में कवित्व शक्ति होकर निवास करो । ब्रह्मा जी की आज्ञा मानकर सरस्वती योग्य पात्र की खोज में बाहर निकलीं । उन्होंने ऊपर…
आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन पितृपक्ष की शुरुआता होती है, जो कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को समाप्त होती है. इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनका तर्पण और पिंडदान किया जाता…
महाभारत में ऐसे अनेक पात्र हैं, जिनके बारे में लोग कम ही जानते हैं। ऐसा ही एक पात्र है भीम का पुत्र घटोत्कच। अधिकांश लोग ये जानते हैं कि घटोत्कच भीम व राक्षसी हिडिंबा का पुत्र था और उसकी मृत्यु…
बाबा तुलसी दास जी ने रामचरित्र मानस में लिखा है।“ललित अंक कुलसादिक चारी ।।” अर्थात भगवान राम के पग तलवे में चार चिन्ह अंकित हैं। १- कमल २- वज्र ३-अंकुश ४-ध्वजा। आइए जानते है कैसे आए प्रभु श्री राम के…
मार्गशीर्ष शुक्ल 14 को महाभारत युद्ध प्रारम्भ हुआ था जो लगातार 18 दिनों तक चला था। यहां जानिए महाभारत युद्ध के 18 दिनों में किस दिन क्या हुआ था… पहला दिनयुद्ध के पहले दिन पांडव पक्ष को भारी हानि हुई…
एक समय की बात है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम रावण का वध करके भगवती सीता के साथ अवधपुरी वापस आ गए । अयोध्या को एक दुल्हन की तरह से सजाया गया और उत्सव मनाया गया ।उत्सव मनाया जा रहा था तभी…
अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल देने वाला माना गया है। भगवान विष्णु को समर्पित अनंत चतुर्दशी का पर्व भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इसे लोकभाषा में अनंत…