साल 2023 में कुल 4 ग्रहण लगने जा रहे हैं। इनमे से दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण हैं। पहला सूर्य ग्रहण लग चुका है। ये सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को लगा था, जो कि भारत में दृश्य नहीं…
श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी को वीरों के वीर महावीर कहा जाता है। जिन्होंने अपने प्रभु राम की रक्षा करने के लिए बहुत से युद्ध किए और जीते। शास्त्रों में इन्हें संकटमोटन कहा जाता है क्योंकि ये अपने भक्तों…
हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन भगवान नरसिंह जयंती मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और नरसिंह भगवान की विधि-विधान उपासना करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। भगवान श्री हरि विष्णु…
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार नारद मुनि का जन्म सृष्टि के रचयिता ब्रह्माजी की गोद से हुआ था। ब्रह्मवैवर्तपुराण के मतानुसार ये ब्रह्मा के कंठ से उत्पन्न हुए थे। जोभी हो नारद को ब्रह्मा के मानस पुत्रों में से एक माना…
ऋषि नारद, जिन्हें देवर्षि नारद या नारद मुनि के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता हैं। वह भगवान ब्रह्मा के पुत्र हैं, जो तीन सर्वोच्च देवताओं में से एक हैं, जिनके बारे में माना…
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश का जन्म हुआ था। शास्त्रों के अनुसार बुधवार का दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए विशेष फलदायी होता है। इस बार बुधवार के दिन…
पौराणिक एवं प्रचलित श्री गणेश कथा के अनुसार एक बार देवता कई विपदाओं में घिरे थे। तब वह मदद मांगने भगवान शिव के पास आए। उस समय शिव के साथ कार्तिकेय तथा गणेश जी भी बैठे थे। देवताओं की बात सुनकर शिव…
रामभक्त हनुमान को कई नामों से जाना जाता है, जैसे मारुति नंदन, पवनपुत्र व संकटमोचन आदि। माना जाता है कि वह भगवान शिव के 11वें रूद्र अवतार थे और उनके जन्म का उल्लेख कई पौराणिक कथाओं में मिलता है। इस…
प्राचीन काल में राक्षस अपनी तपस्या के बल पर ऐसी शक्तियां प्राप्त कर लेते थे, जिनके सामने टिकना देवताओं के लिए भी मुश्किल हो जाता था। राक्षस अपनी शक्तियों का प्रयोग करके आतंक और भय फैलाते थे। ऐसी ही एक…
भगवान शिव की पत्नी मां पार्वती हैं और इन दोनों का जन्म जन्मांतरोंं का संबंध है. पुराणों में इनके विवाह की कई तरह की कथाएं हैं. लोकमान्यताओं के अनुसार, शिवजी ने हिमालय के मंदाकिनी क्षेत्र के त्रियुगीनारायण में पार्वती से…
सनातन शास्त्रों की मानें तो कालांतर में बदरीनाथ में देवों के देव महादेव का निवास स्थान था। जगत का पालनहार भगवान विष्णु को यह स्थान बहुत पसंद आया। इसके लिए भगवान विष्णु ने महादेव से निवास के लिए मांग लिया। उस समय महादेव ने विष्णु जी को निवास हेतु बदरीनाथ देकर कैलाश पर चले गए बदरीनाथ मंदिर को बदरीनारायण मंदिर…
वृंदा के शाप से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया। तब माता लक्ष्मी की याचना पर वृंदा ने शाप वापस लिया और विष्णु जी को शाप मुक्त कर खुद पति जलंधर के साथ सती हो गईं। वृंदा के सती राख से…