क्यों काटा था भगवान परशुराम ने अपनी ही माँ का सिर

पुराणों के अनुसार भगवान परशुराम को श्री हरि विष्णु के अवतार माना गया है। भगवान विष्णु का यह सबसे क्रूर अवतार था। शिव जी द्वारा प्राप्त परशु के कारण ही उनका नाम परशुराम पड़ा था। परशुराम महर्षि जमदग्नि और माता…

भगवान श्री कृष्ण ने अभिमन्यु को चक्रव्यूह से क्यों नहीं बचाया था

दोस्तों महाभारत कथा से तो आप भली-भांति परिचित होंगे ही महाभारत युद्ध क्यों और कैसे और किन योद्धाओं में लड़ा गया था यह तो आपको पता ही होगा और भगवान श्री कृष्ण ने किस का साथ दिया था। लेकिन इसमें…

सहस्त्रबाहु अर्जुन द्वारा अहंकारी रावण को बंधी बनाना

सहस्रबाहु अर्जुन एक पराकर्मी और शूर वीर योद्धा थे । भगवान् द्वारा उन्हें हर प्रकार की सिद्धियां प्राप्त थी और वायु की गति से पूरे संसार में कोई भी रूप धारण कर जब चाहे विचरण कर सकते थे। पुराणो के अनुसार…

भगवान श्रीकृष्ण से पहले देवी योगमाया ने यशोदा मैया के गर्भ से लिया था जन्म, एक ही दिन मनाया जाता है जन्मोत्सव

महारास प्रसंग के समय रास पंचाध्यायी के प्रथम श्लोक में श्री शुकदेव जी कहते हैं- “योगमायामुपाश्रिता” अर्थात योगमाया का ही आश्रय ग्रहण कर भगवान श्रीकृष्ण ने महारास की इच्छा की. देश-दुनिया में आज धूमधाम से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया…

विक्रम बेताल की अंतिम कहानी: भिक्षु शान्तशील की कथा

चौबीस बार लगातार प्रयास करने के बाद, आखिरकार राजा विक्रमादित्य शव को श्मशान ले जाने में कामयाब हो जाते हैं और बेताल शव को त्याग देता है। आगे जानिए क्या हुआ जब राजा विक्रमादित्य शव को लेकर योगी के पास…

विक्रम बेताल की चौबीसवीं कहानी: रिश्ता क्या हुआ?

विक्रम और बेताल रिश्ता क्या हुआ, बेताल पच्चीसी – चौबीसवीं कहानी राजा विक्रमादित्य कई प्रयासों के बाद बेताल को एक बार फिर पकड़ लेते हैं और श्मशान की ओर चल लेते हैं। हर बार की तरह इस बार भी बेताल…

विक्रम बेताल की कहानी: किसका पुण्य बड़ा? – बेताल पच्चीसी तेईसवीं कहानी

रात के अंधेरे और घने जंगल में कुछ देर भटकने के बाद राजा विक्रमादित्य ने फिर से बेताल को अपनी पकड़ में ले लिया। बेताल ने हर बार की तरह कहानी सुनाने और सवालों का सिलसिला जारी रखा। बेताल ने…

विक्रम बेताल की बाईसवीं कहानी: चार ब्राह्मण भाइयों की कथा

जब राजा विक्रमादित्य ने एक बार फिर बेताल को पकड़ा, तो उसने हर बार की तरह एक नई कहानी शुरू कर दी। बेताल ने कहानी सुनाते हुए राजा विक्रमादित्य से कहा…. कुसुमपुर नाम के एक नगर में एक ब्राह्मण परिवार…

विक्रम बेताल की इक्कीसवीं कहानी: सबसे ज्यादा प्रेम में अंधा कौन था?

सम्राट विक्रमादित्य ने योगी को दिए वचन को पूरा करने के लिए एक बार फिर बेताल को पेड़ से उतारकर अपने कंधे पर बैठा दिया। इसके बाद वह योगी के पास चल दिए। रास्ता तय करने के लिए बेताल ने…

विक्रम बेताल की बीसवीं कहानी: बालक क्यों हंसा?

इस बार भी पेड़ पर लटके बेताल को राजा विक्रमादित्य उतारते हैं और कंधे पर लादकर आगे बढ़ते हैं। बेताल हर बार की तरह राजा विक्रमादित्य को फिर से एक कहानी सुनाता है। बेताल कहता है… एक बार की बात…

विक्रम बेताल की उन्नीसवीं कहानी: पिण्ड दान का अधिकारी कौन?

हर बार की तरह इस बार भी राजा विक्रमादित्य ने बेताल को अपने कंधे पर लादा और आगे बढ़ने लगे। सफर लंबा था, इसलिए बेताल ने राजा को फिर से एक नई कहानी सुनाई। बेताल कहता है… यह कहानी है…

विक्रम बेताल की अठारहवीं कहानी: ब्राह्मण कुमार की कथा

बेताल का पीछा करते हुए राजा विक्रामादित्य शिशपा वृक्ष के पास पहुंचे और किसी तरह बेताल को अपने कंधे पर उठाकर आगे बढ़ने लगे। पहले की तरह ही बेताल रास्ता बड़ा होने की वजह से राजन को कहानी सुनाने लगता…