जब श्री कृष्ण अपनी बाल्यावस्था में थे यह तब की कथा है। जब ब्रह्मा जी को पता चला कि भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया है तो वो उनके दर्शन करने को आतुर हो गए।…
दीपावली से दो दिन पूर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। हिन्दू मान्यता में धनतेरस का काफी महत्त्व है पर आखिर धनतेरस (Dhanteras) क्यों मनाया जाता है ! आइयें जानते हैं पूरी…
यों तो हिंदू धर्म में कई ऐसी पौराणिक कथाएं हैं जिसमे देवताओं और असुरों के बीच युद्ध कथाएं प्रचलित हैं। मगर, सबसे ज्यादा प्रचलित कथा है ‘समुद्र मंथन’आइये जानते हैं समुद्र मंथन से जुड़ी पौराणिक कथा – एक बार दुर्वासा…
यह पौराणिक कथा महाभारत काल का एक प्रसंग है। यह बात उस समय की है जब आचार्य द्रोणाचार्य सभी राजकुमारों को धनुर्विद्या सिखाते थे। और सभी राजकुमार गुरु द्रोणाचार्य के साथ ही वन में रहते थे। यों तो सभी राजकुमार…
भगवान शिव को कालों के काल महाकाल हैं। साक्षात् मृत्यु में भी उनका सामना करने का साहस नहीं है। वे मृत्युंजय हैं, अविनाशी हैं, आदि हैं, अनंत हैं। भगवान शिव इतने भोले हैं कि वे अपने भक्त की पुकार पर…
सुदर्शन चक्र पौराणिक कथाओं (Pauranik Katha) के अनुसार ऐसा अस्त्र है जो विरोधी के हर वार को विफल कर देता था ऐसा अस्त्र जो अभेद और अपना कार्य को पूरा करने के बाद ही वापस आता था । आखिर महाभारत के बाद…
एक बार सहस्त्रबाहु अर्जुन अपनी सेना के साथ जंगल में ब्रह्मण के लिए गए होते है। उसी जंगल में परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि का आश्रम भी रहता है । सहस्त्रबाहु अर्जुन जंगल में विश्राम करने लिए लिए जमदग्नि के…
पुराणों के अनुसार भगवान परशुराम को श्री हरि विष्णु के अवतार माना गया है। भगवान विष्णु का यह सबसे क्रूर अवतार था। शिव जी द्वारा प्राप्त परशु के कारण ही उनका नाम परशुराम पड़ा था। परशुराम महर्षि जमदग्नि और माता…
दोस्तों महाभारत कथा से तो आप भली-भांति परिचित होंगे ही महाभारत युद्ध क्यों और कैसे और किन योद्धाओं में लड़ा गया था यह तो आपको पता ही होगा और भगवान श्री कृष्ण ने किस का साथ दिया था। लेकिन इसमें…
सहस्रबाहु अर्जुन एक पराकर्मी और शूर वीर योद्धा थे । भगवान् द्वारा उन्हें हर प्रकार की सिद्धियां प्राप्त थी और वायु की गति से पूरे संसार में कोई भी रूप धारण कर जब चाहे विचरण कर सकते थे। पुराणो के अनुसार…
महारास प्रसंग के समय रास पंचाध्यायी के प्रथम श्लोक में श्री शुकदेव जी कहते हैं- “योगमायामुपाश्रिता” अर्थात योगमाया का ही आश्रय ग्रहण कर भगवान श्रीकृष्ण ने महारास की इच्छा की. देश-दुनिया में आज धूमधाम से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया…
चौबीस बार लगातार प्रयास करने के बाद, आखिरकार राजा विक्रमादित्य शव को श्मशान ले जाने में कामयाब हो जाते हैं और बेताल शव को त्याग देता है। आगे जानिए क्या हुआ जब राजा विक्रमादित्य शव को लेकर योगी के पास…