रामायण के अनुसार हनुमान जी माता जानकी के अत्यधिक प्रिय हैं। इस धरा पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी हैं। हनुमान जी का अवतार भगवान राम की सहायता के लिये हुआ।
हनुमान (संस्कृत: हनुमान्, आंजनेय और मारुति भी) परमेश्वर की भक्ति (हिंदू धर्म में भगवान की भक्ति) की सबसे लोकप्रिय अवधारणाओं और भारतीय महाकाव्य रामायण में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में प्रधान हैं। वह कुछ विचारों के अनुसार भगवान शिवजी के ११वें रुद्रावतार, सबसे बलवान और बुद्धिमान माने जाते हैं। रामायण के अनुसार वे जानकी के अत्यधिक प्रिय हैं। इस धरा पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी हैं। हनुमान जी का अवतार भगवान राम की सहायता के लिये हुआ। हनुमान जी के पराक्रम की असंख्य गाथाएं प्रचलित हैं। इन्होंने जिस तरह से राम के साथ सुग्रीव की मैत्री कराई और फिर वानरों की मदद से राक्षसों का मर्दन किया, वह अत्यन्त प्रसिद्ध है।
हनुमान जी हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। वे भगवान शिव के अवतार हैं और भगवान राम के सबसे भक्त हैं। उन्हें “बजरंगबली”, “पवनपुत्र”, “महावीर”, “अंजनीपुत्र” और “केसरीनंदन” जैसे कई नामों से भी जाना जाता है।
जन्म
हनुमान जी का जन्म अंजना और केसरी के पुत्र के रूप में हुआ था। अंजना एक वानर थी और केसरी एक वानरराज था। हनुमान जी का जन्म अंजना की तपस्या के फलस्वरूप हुआ था। अंजना ने भगवान शिव से एक पुत्र की कामना की थी, और भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें हनुमान जी का वरदान दिया।
शक्ति
हनुमान जी को भगवान शिव के सबसे शक्तिशाली अवतारों में से एक माना जाता है। उन्हें अष्ट सिद्धियों और नव निधियों का स्वामी माना जाता है। हनुमान जी के पास कई चमत्कारिक शक्तियां हैं, जिनमें शामिल हैं:
- अमरत्व: हनुमान जी को अमरता का वरदान प्राप्त है।
- अद्भुत शक्ति: हनुमान जी अत्यंत शक्तिशाली हैं। वे एक बार में कई पर्वतों को उखाड़ सकते हैं।
- अद्भुत बुद्धि: हनुमान जी अत्यंत बुद्धिमान हैं। वे सभी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।
- अद्भुत ज्ञान: हनुमान जी सभी शास्त्रों का ज्ञान रखते हैं।
- अद्भुत गति: हनुमान जी अत्यंत तीव्र गति से उड़ सकते हैं।
- अद्भुत रूप परिवर्तन: हनुमान जी अपनी इच्छानुसार अपने रूप को बदल सकते हैं।
भक्ति
हनुमान जी भगवान राम के सबसे भक्त हैं। उन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य भगवान राम की सेवा करना माना है। हनुमान जी ने भगवान राम की सेवा में कई चमत्कारिक कार्य किए हैं, जिनमें शामिल हैं:
- लंका पर चढ़ाई: हनुमान जी ने लंका पर चढ़ाई करके माता सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाया।
- अग्निपरीक्षा: हनुमान जी ने अग्निपरीक्षा में अपनी भक्ति का परिचय दिया।
- रावण का वध: हनुमान जी ने रावण का वध करने में भगवान राम की मदद की।
Hanuman Putra:जानिये कौन हैं हनुमान पुत्र और क्या है उनके जन्म की कथा?
पूजा
हनुमान जी की पूजा हिंदू धर्म में बहुत लोकप्रिय है। उन्हें बुद्धि, शक्ति, और भक्ति का देवता माना जाता है। हनुमान जी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
हनुमान जी की पूजा विधि
हनुमान जी की पूजा करने के लिए सबसे पहले एक स्वच्छ स्थान पर हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। फिर, हनुमान जी को रोली, अक्षत, फूल, धूप, दीप, और प्रसाद अर्पित करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें। अंत में, हनुमान जी से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें।
हनुमान जी के कुछ प्रसिद्ध मंत्र
- ओम हनुमान नमः: यह हनुमान जी का सबसे प्रसिद्ध मंत्र है।
- ओम नमो भगवते रूद्रावताराय दक्षिणमुखाय हनुमानाय नमः: यह मंत्र हनुमान जी के दक्षिणमुखी रूप की पूजा के लिए है।
- ओम हनुमानाय नमः: यह मंत्र हनुमान जी की सार्वत्रिक पूजा के लिए है।
हनुमान जी के कुछ प्रसिद्ध मंदिर
- पवनपुत्र हनुमान मंदिर, दिल्ली
- हनुमान जी मंदिर, काशी
- हनुमान जी मंदिर, अयोध्या
- हनुमान जी मंदिर, रामेश्वरम
- हनुमान जी मंदिर, उज्जैन
हनुमान जी हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। वे भगवान शिव के अवतार हैं और भगवान राम के सबसे भक्त हैं। हनुमान जी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
ज्योतिषीयों के सटीक गणना के अनुसार हनुमान जी का जन्म 58 हजार 112 वर्ष पहले तथा लोकमान्यता के अनुसार त्रेतायुग के अंतिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 6.03 बजे भारत देश में आज के झारखंड राज्य के गुमला जिले के आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गाँव के एक गुफा में हुआ था।
कौन थे हनुमान के पिता?
भगवान हनुमान का जन्म वानर रूप में हुआ था। उनके पिता का नाम केसरी था, जो कि पौराणिक कथाओं के मुताबिक बृहस्पति देव के पुत्र थे। हनुमान की माता ‘अंजनी’ एक अप्सरा थीं जो एक श्राप के चलते वानर रूप में धरती पर अपनी जीवन व्यतीत कर रही थीं। हनुमान का जन्म माता अंजनी की कोख से भगवान शिव से मिले वरदान के परिणाम से हुआ था।
भगवान हनुमान का जन्म
अंजनी एक अप्सरा की पुत्री थी मगर एक ऋषि से मिले श्राप की वजह से वे धरती पर आ गई और एक साधारण वानर स्त्री के रूप में जीवन व्यतीत करने लगी। एक पुत्र को जन्म देने के बाद ही वह श्राप से मुक्त हो सकती थी। धरती पर आकर अंजनी का विवाह वानरों के राजा केसरी से हुआ। दोनों ने मिलकर भगवान शिव की अराधना की और वरदान हेतु अंजनी को पुत्र रूप में ‘मारुति’ (हनुमान) की प्राप्ति हुई। इस तरह हनुमान शिव के अंश बताए जाते हैं।
वायु देव के पुत्र हनुमान
‘एकनाथ भावार्थ रामायण’ में दर्ज एक कथा के अनुसार हनुमान वायु देव के पुत्र थे। इसलिए उन्हें पवनपुत्र के नाम से भी संबोधित किया जाता है। कथा के मुताबिक त्रेता युग में राजा दशरथ पुत्रों की प्राप्ति के लिए महायज्ञ (वायु देव को समर्पित) करवा रहे थे। उस यज्ञ में खास प्रकार का प्रसाद ‘पयासम’ तैयार किया गया था। यह प्रसाद राजा की तीनों पत्नियों को ग्रहण करना था।
मगर अचानक ही एक पक्षी आया और उसने अपने पंजों में इस पवित्र प्रसाद का कुछ भाग दबोच लिया और वहा उड़ गया। वह पंछी उस जंगल के ऊपर से गुजरा जहां माता अंजनी तपस्या आकार रही थीं। उसके पंजों से प्रसाद छोट आज्ञा और सीधा माता अंजनी के हाथों में जाकर गिरा। अंजनी ने उसे शिव का प्रसाद समझ ग्रहण कर लिया। यही कारण है कि वायु देव को हनुमान का पिता बताया जाता है। और इसलिए हनुमान में वायु की तरह उड़ने की चमत्कारी शक्ति भी थी।
भगवान हनुमान का परिवार
केसरीनंदन हनुमान राजा केसरी और माता अंजनी की ज्येष्ठ संतान थे। उनके बाद केसरी और अंजनी के पांच पुत्र और हुए। इनके नाम इस प्रकार हैं – मतिमान, श्रुतिमान, केतुमान, गतिमान और धृतिमान। इन सभी का विवाह हुआ था और धार्मिक ग्रंथों में इनकी संतानों का उल्लेख भी मिलता है। पौराणिक कथाओं में भगवान हनुमान की संतान को ‘मकरध्वज’ के नाम से जाना जाता है।