जनमेजय का “सर्प मेघ यज्ञ”

एक बार राजा परीक्षित किसी तपस्वी ऋषि का अपमान कर देते हैं। ऋषिवर क्रोधित हो उन्हें सर्प दंश से मृत्यु का श्राप दे देते हैं। सावधानियां रखने के बावजूद ऋषि वाणी अनुसार एक दिन फूलों की टोकरी में कीड़े के रूप में छुपे…

क्यों मनाया जाता है नाग पंचमी का त्योहार? जानिए पौराणिक कथा

नाग पंचमी पौराणिक कथा पौराणिक कथा के अनुसार जनमेजय अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के पुत्र थे। जब जनमेजय ने पिता की मृत्यु का कारण सर्पदंश जाना तो उसने बदला लेने के लिए सर्पसत्र नामक यज्ञ का आयोजन किया। नागों…

God story in hindi-भगवान विष्णु की पत्नियां

विष्णु भगवान की तीन पत्नियां थीं। लक्ष्मी, सरस्वती और गंगा। तीनों बड़ी गुणवती और सौम्य हृदयया थीं, पर तीनों की अलग-अलग प्रकृति थी। तीनों भगवान विष्णु के प्रति मन में अनन्य प्रेम रखती थीं। स्वयं विष्णु भगवान भी तीनों को…

प्राचीन कथा-युधिष्ठिर और यक्ष की कथा

प्रसंग द्वैत वन का है। चित्रसेन गंधर्व के बन्धन से राजा दुर्योधन को छुडाकर युधिष्ठिर पुनः द्वैत वन लौट गए। वहां एक ब्राह्मण घबराया हुआ पहुंचा और युधिष्ठिर से बोला, “राजन! मेरा तो बुरा हाल हुआ, अरणियां-सहित मैंने अपना बर्तन…

शिक्षाप्रद धार्मिक कहानी-राजा आदित्य सेन की कथा

प्राचीन समय में उज्जयिनी नगरी में राजा आदित्य सेन राज करते थे। वह बडे ही शूरवीर तथा प्रजा-वत्सल थे। एक दिन अपने कुछ सैनिकों, मंत्रियों तथा रानी के साथ वे शिकार करने को निकले।  घने जंगल में जाकर एक हिरन…

पौराणिक शिक्षाप्रद कहानियां-नीलमाधव की कथा

पूर्वकाल में उत्कल (उड़ीसा) प्रदेश के शबरपल्ली नगर में विश्ववसु नामक एक व्यक्ति रहता था। वह विष्णु का भक्त था। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान नीलमाधव साकार रूप में उसके हाथ से नैवेद्य ग्रहण करते थे। नीलमाधव की मूर्ति…

पौराणिक कथा-ब्राह्मण नरोत्तम की अहंकार कथा 

बहुत पहले की बात है, नरोत्तम नाम का एक ब्राह्मण था। उसके घर में मां बाप थे तथापि वह उनकी परिचर्या न कर तीर्थयात्रा के लिए निकल पड़ा। उसने अनेक तीर्थों में पर्यटन तथा अवगाहन किया, जिसके प्रताप से उसके…

धार्मिक लघु कथाएं-कलियुग में धर्म लाभ कथा 

एक बार मुनियों में परस्पर इस विषय पर बड़ा विवाद हुआ कि किस समय का किया गया थोड़ा-सा भी पुण्य अत्यधिक फलदायक होता है तथा कौन उसका सुविधापूर्वक अनुष्ठान कर सकता है?’ अन्त में वे इस सन्देह के निवारण के…

Dharmik katha-महर्षि लोमश की कथा 

प्राचीन काल में एक राजा थे, जिनका नाम था इन्द्रद्युम्न । वे बड़े दानी, धर्मज्ञ और सामर्थ्यशाली थे। धनार्थियों को वे सहस्र स्वर्ण मुद्राओं से कम दान नहीं देते थे। उनके राज्य में सभी एकादशी व्रत रखते थे। गगन की…

शिक्षाप्रद पौराणिक कथाएँ-भीलकुमार कण्णप्प की कथा 

वन में श्री शंकरजी का एक मन्दिर था। भीलकुमार कण्णप्प आखेट करने निकला और घूमता-घामता उस मन्दिर तक पहुंच गया। मन्दिर में भगवान शिव की प्रतिमा थी। उस भावुक सरल हृदय भीलकुमार के मन में यह भाव आया ‘भगवान इन हिंसक…

पौराणिक कहानियां-गुप्त एवं रहस्यमय विद्या

महर्षि दध्यड आथर्वण जिन्हें पुराणों में दधीचि महर्षि कहा गया। तपोवन में आश्रम बनाकर रहते थे। वे सदा अपनी तपस्या में लीन रहते तथा सुयोग्य छात्रों को विद्या दान किया करते थे। उन्हें मधु विद्या नाम की एक गुप्त एवं…

प्राचीन कथा-राजा हरिश्चंद्र की कथा

सर्यवंश में त्रिशंक नाम के एक प्रसिद्ध चक्रवर्ती सम्राट थे, जिन्हें भगवान विश्वामित्र ने अपने योगबल से सशरीर स्वर्ग भेजने का प्रयत्न किया था। महाराज हरिश्चन्द्र उन्हीं त्रिशंकु के पुत्र थे। ये बड़े ही धर्मात्मा, सत्यपरायण तथा प्रसिद्ध दानी थे।…