आचार्य द्रोण राजकुमारों को धनुर्विद्या की विधिवत शिक्षा प्रदान करने लगे। उन राजकुमारों में अर्जुन के अत्यन्त प्रतिभावान तथा गुरुभक्त होने के कारण वे द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य थे। द्रोणाचार्य का अपने पुत्र अश्वत्थामा पर भी विशेष अनुराग था इसलिये…
अश्वत्थामा ने कौरवों की एक सेना का नेतृत्व किया और पांडव पक्ष के कई योद्धाओं को मार गिराया। कहते हैं कि जब घटोत्कच के नेतृत्व में राक्षसों की सेना ने आक्रमण किया, तब सभी कौरव भाग खड़े हुए। मगर अश्वत्थामा…
एक पौराणिक कथा के अनुसार लक्ष्मी और उसकी छोटी बहन दरिद्रा विष्णु के पास गई और प्रार्थना करने लगी कि हे प्रभो! हम कहां रहें? इस पर विष्णु भगवान ने दरिद्रा और लक्ष्मी को पीपल के वृक्ष पर रहने की…
आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला त्यौहार शरद पूर्णिमा की कथा कुछ इस प्रकार से है- एक साहूकार के दो पुत्रियां थी। दोनों पुत्रियां पूर्णिमा का व्रत रखती थी, परन्तु बड़ी पुत्री विधिपूर्वक पूरा व्रत करती थी जबकि…
सतयुग और त्रेता युग बीतने के बाद जब द्वापर युग आया तो पृथ्वी पर झूठ, अन्याय, असत्य, अनाचार और अत्याचार होने लगे और फिर प्रतिदिन उनकी अधिकता में वृद्धि होती चली गई| अधर्म के भार से पृथ्वी दुखित हो उठी|…
तुलसी से जुड़ी एक कथा बहुत प्रचलित है। श्रीमद देवि भागवत पुराण में इनके अवतरण की दिव्य लीला कथा भी बनाई गई है। एक बार शिव ने अपने तेज को समुद्र में फैंक दिया था। उससे एक महातेजस्वी बालक ने…
महत्वपूर्ण जानकारी गोविंदा द्वादशी व्रत को हिन्दू धर्म में विशेष माना जाता है। यह व्रत हिन्दू मास के ‘फाल्गुन’ के दौरान शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर आता है। अंग्रेजी कैलेंडर के फरवरी महीने में आता है। भगवान विष्णु के भक्तों…
दैत्यराज हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और वह हर समय श्रीहरि की भक्ति में लीन रहता था। ऐसे में अपने पुत्र की भक्ति को समाप्त करने के लिए और उसकी हत्या के लिए दैत्यराज भक्त…
भारत देश में रीती रिवाजों का मैला हैं. सभी धर्म एवम जाति की भिन्न – भिन्न विभिन्न मान्यतायें हैं, जिनके अनुसार वे अपने धर्म का पालन करते हैं.पूजा, पाठ, उपवास एवम व्रत का पालन सभी धर्मो में किया जाता हैं…
रोहिणी व्रत का जैन समुदाय में खास महत्व है। यह व्रत आत्मा के विकारों को दूर कर कर्म बंध से छुटकारा दिलाने में सहायक है। रोहिणी व्रत के संबंध में पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में चंपापुरी नामक नगर में…
जैन समुदाय में रोहिणी व्रत का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। 27 नक्षत्रों में शामिल रोहिणी नक्षत्र के दिन यह व्रत होता है, इसी वजह से इसे रोहिणी व्रत कहा जाता है। रोहिणी व्रत का जैन समुदाय में खास महत्व है।…
अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की आठवीं तिथि को मनाया जाता है। इस दिन माताएं अपने बच्चों की रक्षा के लिए पूरा दिन व्रत करती हैं। शाम को दीवार पर छाप कर अहोई माता की पूजा करती हैं…