सावर्णि मुनि की पुत्री तुलसी अपूर्व सुंदरी थी। उनकी इच्छा थी कि उनका विवाह भगवान नारायण के साथ हो। इसके लिए उन्होंने नारायण पर्वत की घाटी में स्थित बदरीवन में घोर तपस्या की। दीर्घ काल तक तपस्या के उपरांत ब्रह्मा…
अति प्राचीन काल की बात है। द्रविड़ देश में एक पाण्ड्यवंशी राजा राज्य करते थे। उनका नाम था इंद्रद्युम्न। वे भगवान की आराधना में ही अपना अधिक समय व्यतीत करते थे। यद्यपि उनके राज्य में सर्वत्र सुख-शांति थी। प्रजा प्रत्येक…
एक बार ब्रह्मा जी के मानस पुत्र सनत-सनकादि भगवान विष्णु के दर्शन करने वैकुंठ धाम पहुंचे। वैकुंठ में विष्णु धाम के द्वार पर भगवान के दो पार्षद जय-विजय द्वारपाल के रूप में बैठे थे। इन दिगम्बर साधुओं को देखकर पहले…
दिल्ली से 128 किमी की दूरी पर तथा मथुरा से 60 किमी की दूरी पर स्थित कोसी कला स्थान पर सूर्यपुत्र भगवान शनिदेव जी का एक अति प्राचीन मंदिर स्थापित है। इसके आसपास ही नंदगांव, बरसाना एवं श्री बांके बिहारी…
पौराणिक कथा के अनुसार जब देवी पार्वती ने भगवान शिव से विवाह किया तो वह खुद को घर में अकेली महसूस करती थीं। उनकी इच्छा थी कि काश उनकी भी एक ननद होती जिससे उनका मन लगा रहता। लेकिन भगवान…
कुम्भ मेले का आयोजन चार स्थानों हरिद्वार, प्रयाग, नासिक तथा उज्जैन में होता है। हर जगह कुम्भ मेले का आयोजन 12 साल में एक बार होता है। आइए जानते है क्या है इसका कारण-कुम्भ मेले के 12 वर्ष में एक…
महाभारत में भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण को बहुत ही चतुर और सभी कलाओं का जानकार बताया गया है। श्रीकृष्ण ने कई बार चतुराई का उपयोग करते हुए ऐसे काम किए, जिन्हें छल माना जाता है। यहां जानिए 5 ऐसे प्रसंग…
यह तब की बात है जब सीताजी को रावण, श्रीराम तथा लक्ष्मण की अनुपस्थिति मंं हरण कर ले गया था। जब तक दोनों वापस लौटे सीताजी कुटिया में नहीं थीं, यह देख श्रीराम व्याकुल हो उठे। वे समझ नहीं पा…
छत्तीसगढ़ की राजधानी से करीब 30 किलोमीटर दूर रायपुर-कोलकाता हाईवे पर एक कस्बा है- आरंग। कहा जाता है कि यह कभी राजा मोरध्वज की राजधानी थी और इसकी पहचान एक समृद्ध नगर के रूप में थी। मोरध्वज की कहानी पुराणों…
बिहार की राजधानी पटना से करीब 104 किलोमीटर की दूरी पर बसा है गया जिला। धार्मिक दृष्टि से गया न सिर्फ हिन्दूओं के लिए बल्कि बौद्ध धर्म मानने वालों के लिए भी आदरणीय है। बौद्ध धर्म के अनुयायी इसे महात्मा…
श्री गणेश चतुर्थी व्रत कथा श्री गणेश चतुर्थी व्रत को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलन में है. कथा के अनुसार एक बार भगवान शंकर और माता पार्वती नर्मदा नदी के निकट बैठे थें. वहां देवी पार्वती ने भगवान भोलेनाथ से…
हरतालिका तीज के अगले दिन गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का व्रत रखा जाता है. इस दिन प्रथमपूज्य श्री गणेश जी का जन्म दिवस मनाया जाता है. भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि को गणेश जी का जन्म हुआ था. इस वर्ष गणेश चतुर्थी 31 अगस्त…