विक्रम और बेताल रिश्ता क्या हुआ, बेताल पच्चीसी – चौबीसवीं कहानी राजा विक्रमादित्य कई प्रयासों के बाद बेताल को एक बार फिर पकड़ लेते हैं और श्मशान की ओर चल लेते हैं। हर बार की तरह इस बार भी बेताल…
रात के अंधेरे और घने जंगल में कुछ देर भटकने के बाद राजा विक्रमादित्य ने फिर से बेताल को अपनी पकड़ में ले लिया। बेताल ने हर बार की तरह कहानी सुनाने और सवालों का सिलसिला जारी रखा। बेताल ने…
जब राजा विक्रमादित्य ने एक बार फिर बेताल को पकड़ा, तो उसने हर बार की तरह एक नई कहानी शुरू कर दी। बेताल ने कहानी सुनाते हुए राजा विक्रमादित्य से कहा…. कुसुमपुर नाम के एक नगर में एक ब्राह्मण परिवार…
सम्राट विक्रमादित्य ने योगी को दिए वचन को पूरा करने के लिए एक बार फिर बेताल को पेड़ से उतारकर अपने कंधे पर बैठा दिया। इसके बाद वह योगी के पास चल दिए। रास्ता तय करने के लिए बेताल ने…
इस बार भी पेड़ पर लटके बेताल को राजा विक्रमादित्य उतारते हैं और कंधे पर लादकर आगे बढ़ते हैं। बेताल हर बार की तरह राजा विक्रमादित्य को फिर से एक कहानी सुनाता है। बेताल कहता है… एक बार की बात…
हर बार की तरह इस बार भी राजा विक्रमादित्य ने बेताल को अपने कंधे पर लादा और आगे बढ़ने लगे। सफर लंबा था, इसलिए बेताल ने राजा को फिर से एक नई कहानी सुनाई। बेताल कहता है… यह कहानी है…
बेताल का पीछा करते हुए राजा विक्रामादित्य शिशपा वृक्ष के पास पहुंचे और किसी तरह बेताल को अपने कंधे पर उठाकर आगे बढ़ने लगे। पहले की तरह ही बेताल रास्ता बड़ा होने की वजह से राजन को कहानी सुनाने लगता…
इस बार भी राजा विक्रमादित्य ने बड़े से पेड़ पर लटके बेताल को उतारा और उसे लेकर आगे बढ़ने लगे। खुद को बचाने के लिए बेताल ने फिर से राजा को एक कहानी सुनाई। बेताल कहता है… एक बार की…
सालों पहले की बात है, चंदनपुर नाम के एक गांव में दगड़ू नाम का लड़का रहा करता था। वह बहुत ही आलसी और कामचोर था। दगड़ू के आलस और दिन-रात सोने की आदत से उसकी बूढ़ी मां परेशान रहती थी।…
हर बार की तरह राजा विक्रामादित्य फिर से बेताल को पेड़ से उतारते हैं और उसे योगी के पास ले जाने के लिए आगे बढ़ते हैं। इस बार भी बेताल एक नई कहानी राजा को सुनाता है। बेताल कहता है……
एक बार फिर राजा विक्रमादित्य, बेताल को पेड़ से उतारकर कंधे पर लादकर योगी की ओर बढ़ने लगता है। इस दौरान बेताल फिर से राजा को एक नई कहानी सुनाता है और शर्त वही होती है, अगर राजा ने मुंह…
पेड़ पर उल्टे लटके बेताल को एक बार फिर अपन कंधे पर उठाकर राजा विक्रमादित्य ने श्मशान की ओर चलना शुरू किया, तो बेताल ने एक नई कहानी शुरू कर दी। बेताल बोला…. एक बार की बात है, बनारस में…